उत्तरकाशी: प्रदेश में मुख्यमंत्री बदल गए, जिले में कई जिलाधिकारियों के तबादले हो गए, लेकिन नहीं बदली तो उनके गांव की सूरत। शासन-प्रशासन की बेरुखी के कारण बीते चार वर्षों से छानियों में रहकर जीवन गुजारने को मजबूर हैं। शासन प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी अभी तक ग्रामीणों को न ही मुआवजा मिला है और न ही गांव का विस्थापन हुआ है। यह कहना है बुधवार को जिलाधिकारी कार्यालय में पहुंचे नौगांव ब्लॉक के कफनौल गांव के ग्रामीणों का। ग्रामीणों ने अपनी समस्या जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान को सुनाई और उनके माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा।
जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे लोगों ने बताया कि कफनौल गांव में अनुसूचित जाति के बीस परिवार रहते हैं। जून 2013 दैवीय आपदा से उनके घर जमींदोज हो गए। मकान क्षतिग्रस्त होने से कुछ परिवार किराये का कमरा लेकर इधर उधर रह रहे हैं, तो कुछ परिवार गांव के आसपास छानियों में अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं।
दैवीय आपदा के दौरान शासन-प्रशासन द्वारा उनके गांव का निरीक्षण हुआ था, लेकिन आज तक शासन- प्रशासन से उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। गांव में जगह-जगह भूधंसाव हो रहा है। वर्ष 2014 में भूगर्भीय वैज्ञानिकों की टीम ने गांव का सर्वे किया था। इसमें जांच अधिकारियों ने गांव को खतरे की जद में बताया था। तब से लेकर आज तक गांव के ग्रामीण शासन-प्रशासन से मुआवजा और विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं।
आज तक ग्रामीणों को शासन-प्रशासन स्तर पर न तो मुआवजा मिला और न ही गांव का विस्थापन हुआ। समस्या के बारे में ग्रामीण कई बार शासन-प्रशासन स्तर पर लिखित और मौखिक रूप से गुहार लगा चुके हैं। उसके बावजूद शासन-प्रशासन कुंभकरण की नींद सो रहा है।