दिल्ली- सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आज नई दिल्ली में केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन से मुलाकात की और उनके सामने राज्य की पैरवी करते हुए बताया कि कई वन कानून राज्य में विकास की राह मे रोड़ा बन रहे हैं। सीएम रावत ने केंद्रीय मंत्री से इनमें राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ढील देने की गुजारिश की।
केंद्रीय मंत्री से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रदेश में वन भूमि हस्तांतरण तथा क्षतिपूर्ति सम्बंधी प्रावधानों में सरलीकरण, डिग्रेडेड फोरेस्ट लेण्ड ही क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिये उपलब्ध कराये जाने, भागीरथी इको सेंसेटिव जोन से सम्बंधित अधिसूचना के प्राविधानों में संशोधन किये जाने, केम्पा के प्राविधानों में सरलीकरण, 1000 मीटर से अधिक ऊचाई वाले क्षेत्रों में पेड़ कटान की अनुमति तथा जंगली सूअर से मानव एवं कृषि की रक्षा हेतु जंगली सूअरो को मारने की अनुमति दिये जाने का निवेदन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विकास तभी संभव है जब वन कानूनों के मानकों में राज्य की परिस्थितियों को देखते हुए बदलाव किया जाएगा। सीएम ने कहा कि वन कानूनो की वजह से राज्य में विकास कार्यों को रफ्तार नहीं मिल पा रही है।
सीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड का अधिकांश क्षेत्र अन्तराष्ट्रीय सीमा से जुडा है। आन्तरिक सुरक्षा की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित सड़क परियोजनायें भी स्थानीय निवासियों के साथ-साथ आई0टी0बी0पी0 अथवा अन्य सुरक्षा इकाइयों के लिये भी सहायक होती है। अतः सीमा क्षेत्र में 100 कि0मी एरियल डिस्टेंस में पडने वाली समस्त सड़क परियोजनाओं को वन भूमि हस्तांतरण के लिये राज्य सरकार को अधिकृत किया जाय ताकि सड़क निर्माण को तेजी मिल सके।