देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विधानसभा चुनावों में टिकट के लिए आवेदन भी नहीं किया है। टिकट के लिए आवेदन करने की तारीख बीत चुकी है। जी हां, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि प्रदेश कांग्रेस संगठन के मुखिया ने तय किया था कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उतरने की इच्छा रखने वाले सभी दावेदारों को जिलाध्यक्ष के मार्फत संगठन के सामने अपनी दावेदारी प्रस्तुत करनी होगी। फिर चाहे वो आम कार्यकर्ता हो या खास पदाधिकारी। पीसीसी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के इस आदेश पर कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह ने चकराता जबकि कैबिनेट मंत्री नवप्रभात ने विकास नगर से दावा किया। इसके अलावा मौजूदा विधायक विक्रम सिंह नेगी ने प्रतापनगर, सुंदरलाल मंद्रवाल ने पौड़ी, गणेश गोदियाल ने श्रीनगर, विजयपाल सजवाण ने गंगोत्री, मयूख महर ने पिथौरागढ और नारायणराम आर्य ने गंगोलीहाट से ही अपनी दावेदारी पेश की बचे 18 विधायकों ने टिकट की दावेदारी में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।
दिलचस्पी न दिखाने वालों में हरीश रावत भी शामिल हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या हरीश रावत चुनाव नहीं लड़ना चाहतें हैं। तय है कि अगर दिल्ली दरबार प्रदेश संगठन के मुखिया और उनके आदेश की दलील को तरजीह देता है तो 2017 के विधानसभा चुनाव में कई खास लोगों को चुनाव लड़ने के काबिल नहीं समझा जाएगा। यानि खास लोगों को जोर झटका धीरे से लग सकता है।