Religious : Chhath Puja का दूसरा दिन, खरना पूजा के साथ आज से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

Chhath Puja का दूसरा दिन, खरना पूजा के साथ आज से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

Uma Kothari
3 Min Read
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Chhath Puja Kharna: आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है। इसे खरना भी कहा जाता है। ये दिन भी इस पर्व का काफी खास हिस्सा होता है। ये दिन भक्तों के लिए शारीरिक शुद्धता और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्यास्त से पहले स्नान करते है और साफ कपड़े पहनते हैं।

उसके बाद ही पूजा की तैयारी की जाती हैं। खरना के दिन दिनभर व्रती का उपवास रहता हैं। शाम को पूजा के बाद ही प्रसाद लिया जाता हैं। इस दिन भक्त सूर्य देव और छठी मइया की अराधना करते है। जिससे छठ की इस पूजा कोऔर गहराई मिलती है।

Chhath Puja: खरना पूजा के साथ आज से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

खरना छठ पर्व का दूसरा और बेहद पवित्र दिन होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं। जैसे ही सूर्य अस्त होता है, वो स्नान कर स्वच्छ कपड़ों में पूजा की तैयारी शुरू करते हैं। एक साफ और पवित्र जगह पर पूजा स्थल सजाया जाता है। साथ ही मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर (रसियाव) और रोटी बनाई जाती है। यही प्रसाद सूर्य देव और छठी मइया को अर्पित किया जाता है। साथ ही केले, नारियल और मौसमी फलों को भी पूजा में शामिल किया जाता है।

खरना की पूजन विधि और महत्व

प्रसाद ग्रहण करने का ये पल बेहद खास होता है क्योंकि इसी के बाद 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इस समय व्रती जल की एक बूंद भी नहीं लेते न खाना, न पानी। ये व्रत उनकी आस्था, आत्मबल और परिवार की खुशहाली के लिए की गई प्रार्थना का प्रतीक है।

मिट्टी के चूल्हे का खास महत्व

खरना में प्रसाद बनाने के पीछे सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि पवित्रता की भावना जुड़ी है। लकड़ी की आग पर मिट्टी के चूल्हे में पकाई गई खीर, उसकी खुशबू और उसमें छुपा शुद्धता का भाव, पूरी पूजा को और भी आध्यात्मिक बना देता है। भक्त मानते हैं कि इस तरह तैयार किया गया प्रसाद घर पर आने वाले हर शुभ आशीर्वाद का माध्यम बनता है।

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