चमोली : कहते हैं किसमत कभी भी पलट सकती है और ऐसा ही हुआ चमोली के महेंद्र के साथ. गरीबी की जिंदगी जीने को मजबूर महेंद्र औऱ उसके पिता को क्या मालूम था कि उनकी ऐसे किस्मत बदलेगी और पूरे प्रदेश में नाम रोशन होगा. जी हां कहते हैं टैलेंट की उत्तराखंड में कमी नहीं है..बस जरुरत है तो उस टेलेंट को बाहर दिखाने औऱ एक प्लेटफार्म की…जो कि मजदूर के बेटे को दिया जिले की डीएम स्वाति भदौरिया ने।
डीएम के बच्चे को खिलाते हुआ गुनगुनाया गाना, डीएम को भाया
दरअसल महेंद्र के पिता मजदूर है, कम आमदनी से घर का खर्च चलना मुश्किल होता है इसको देखते हुए महेंद्र ने भी काम की तलाश शुरु कि…किसमत की बात थी कि महेंद्र को चमोली डीएम स्वाति भदौरिया के घर में काम मिला। तभी एक दिन डीएम के बच्चे को खिलाते हुए महेंद्र गाना गुनगुना रहा था कि ये गाना डीएम स्वाति ने और महेंद्र की आवाज सुन डीएम मंत्र मुग्ध हो गईं।
डीएम के दिल को भाई महेंद्र की आवाज
तभी डीएम स्वाति भदौरिया ने महेंद्र से कोई और गाना सुनाने को कहा. महेंद्र ने एक दो गाने गुनगुनाए जो डीएम के दिल को भा गए..बस फिर क्या था महेंद्र की किस्मत पलट गई। चमोली जिले में पर्यटन को बढ़ाने के लिए डीएम स्वाति ने महेन्द्र से पर्यटन पर आधारित गीत तैयार करने को कहा औऱ साथ ही महेंद्र को गौचर मेले में भी गाने का मौका मिला।
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दिया ईनाम
खास बात ये थी कि इस दौरान गौचर मेले में सीएम त्रिवेंद्र रावत भी मौजूद थे। सीएम ने महेंद्र की आवाज की तारीफ करते हुए महेंद्र को 51 हजार रुपये नगद ईनाम दिया। साथ ही डीएम ने महेन्द्र को लोकसभा चुनाव के लिए गाना तैयार करने को कहा औऱ साथ ही चमोली एंथम बनाया।