Big News : दो साल पहले भर्ती हुए थे कैप्टन आशुतोष, दो बहनों का इकलौता भाई देश के लिए शहीद - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

दो साल पहले भर्ती हुए थे कैप्टन आशुतोष, दो बहनों का इकलौता भाई देश के लिए शहीद

Reporter Khabar Uttarakhand
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जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर के माछिल इलाके में आतंकियों के घुसपैठ को विफल करने के दौरान बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स के कैप्टन आशुतोष कुमार सहित 4 जवान देश के लिए कुर्बान हुए। इस दौरान संयुक्त टीम ने तीन आतंकियों को भी ढेर किया। मृतक कैप्टन आशुतोष कुमार, घैलाढ़ प्रखंड के भतरंधा परमानंदपुर पंचायत के जागीर टोला वार्ड-17 के निवासी थे। उनके पिता रविंद्र भारती घैलाढ़ पशु अस्पताल में कर्मचारी हैं। आशुतोष की दो साल पहले ही नौकरी लगी थी। वह 9 महीने से बॉर्डर पर तैनात थे। जानकारी मिली है कि रविवार सुबह बीएसएफ के 12 जवानों की टीम पाकिस्तान सीमा से सटे माछिल इलाके में गश्त कर रही थी। इसी दौरान पांच आतंकियों को पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ करते देखा गया। इसके बाद एनकाउंटर शुरू हो गया। संयुक्त टीम ने 3 आतंकियों को मार गिराया।

कैप्टन आशुतोष सहित चार जवान शहीद

इस ऑपरेशन में कैप्टन आशुतोष सहित चार जवान शहीद हो गए। जिसमे एक बीएसएफ का जवान भी शामिल है। देश के लिए रविवार को बुरी खबर आई जिससे देशभर में शोक की लहर है। कैप्टन आशुतोष कुमार मधेपुरा के घैलाढ़ प्रखंड के भतरंथा परमानपुर पंचायत के रहने वाले थे। उनके पिता रवींद्र यादव पशु अस्पताल में काम करते हैं। कैप्टन आशुतोष इकलौते बेटे थे औऱ उनकी दो बहने हैं। घर में बेटे की शहादत की खबर से घर सहित पूरे इलाके में कोहराम मचा हुआ है।

बचपन से ही पढ़ने में होशियार थे कैप्टन

कैप्टन आशुतोष के घर कोहराम मचा हुआ है। माता पिता ने इकलौता बेटे देश के लिए कुर्बान कर दिया। परिवार वालों को बेटे की शहादत पर गर्व है लेकिन उसके जाने का गम भी है। रोरोकर मां पिता और बहनों का बुरा हाल है। आशुतोष तीन आतंकियों को ढेर कर शहीद हो गए। जानकारी में बताया कि शहीद कैप्टन मिलनसार स्वाभाव के थे औऱ बचपन से ही पढ़ने में होशियार थे। उन्होंने सेना को चुना और देश की रक्षा करने की शपथ ली। और आज वो देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

मधेपुरा के घैलाढ़ प्रखंड के भतरंथा परमानपुर पंचायत के रहने वाले आशुतोष की शहादत पर परिजनों और गांव वालों को गर्व है। गांव वालों ने जानकारी दी कि मधेपुरा का इतिहास रहा है कि स्वतंत्रता संग्राम में भी यहां के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। कारगिल युद्ध के दौरान भी सहरसा का एक लाल शहीद हुआ था।गांव वालों को आशुतोष पर गर्व है। गांव में शोक की लहर है। जवान इकलौते बेटे को खोने का गम माता पिता को है ही लेकिन गर्व भी है कि बेटे ने देश का नाम, घर परिवार और गांव का नाम रोशन किया। आज शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा और सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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