देहरादून- चरम राष्ट्रवाद के माहौल के बीच देश भर के केंद्रीय आयुध निर्माण संस्थान के मुलाजिम सरकार से लोहा लेने के मूड़ में हैं। दरअसल इनका आरोप है कि केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र के महत्वपूर्ण कारखानों में 100 फीसदी विदेश निवेश के रास्ते खोल रही है।
देहरादून में हुई अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ की बैठक में संघ से जुड़े कर्मचारियों ने इसे केंद्र सरकार का गलत फैसला बताते हुए मुलाजिमों के गला काटने वाला फैसला करार दिया।
संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिरकत कर रहे वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार देश की महत्वपूर्ण 41 आयुध निर्माणियों, 52 DRDO, AGQA, लेब्स, सेना, नौसेना और वायुसेना के अंतर्गत आने वाले संस्थानों में पूर्व स जारी निजीकरण, ठेका सिस्टम और निगमीकरण के रास्ते खोल दिए हैं। इससे देश भर में रक्षा संस्थानों से जुड़े चार लाख कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।
केंद्र की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ लामबंद होते मुलाजिमों ने कहा है कि आने वाली 28 अप्रैल से यूनियन जहां देश भर के ऑर्डिनेन्स संस्थानों में हस्ताक्षर अभियान चलाएगी वहीं मानसून सत्र में संसद कूच भी करेंगे जबकि रक्षा संस्थानों को बचाने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर देश भर के आयुध निर्माण संस्थान के कर्मचारियों का क्रमिक अनशन शुरू हो चुका है।