नई दिल्ली: भारत में जैसे-जैसे कोरोना फैल रहा है। हर्ड इम्यूनिटी की चर्चा भी उतना ही जोर पकड़ रही है। हर्ड इम्युनिटी यानि अगर लगभग 70-90 फीसद लोगों में बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाए तो बाकी भी बच जाएंगे। लेकिन इसके लिए वैक्सीन जरूरी है। क्या कोरोना वैक्सीन की अनुपलब्धता में हर्ड इम्युनिटी अपना काम कर पाएगी? जिस व्यक्ति को इसका संक्रमण होता है, उसके भीतर एंटीबॉडी बनकर तैयार हो जाती है और ये एंटीबॉडी को उसको दोबारा संक्रमित होने से बचाता है। लेकिन, सवाल यह है कि ये एंटीबॉडी कब तक काम कर सकता है।
पूरी दुनिया समेत भारत में कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित होने के मामले सामने आ रहे हैं। भारत में अब तक तीन ऐसे मामले सामने आए, जिनको कोरोना वायरस हुआ और ठीक हो गए। उनके शरीर में एंटीबॉडी भी डेवलप हो गया। लेकिन, कुछ महीनों बाद उसको फिर से कोरोना वायरस ने जकड़ लिया। दोबारा संक्रमण के कुछ केस चीन से मिले हैं। कहा जा रहा है कि जो इस वायरस से पूरी तरह रिकवर नहीं हो पाताए ऐसी स्थिति में उसके दोबारा संक्रमण होने की संभावना रहती है। भारत में तेलंगाना और गुजरात में भी ऐसे ही मामले सामने आए हैं। हॉन्ग कॉन्ग के मरीज जोकि अहमदाबाद में भर्ती थे, उनको कोरोना से दोबारा अपनी जद में लिया है।
हांगकांग में शोधकर्ताओं में से एक केल्विन काई-वांग टू ने एक अध्ययन कर फॉर्च्यून पत्रिका को बताया कि टीके से काफी हद तक इस बीमार से बचने की ताकत मिलेगी। ये टीका इंसान के कोरोना से लड़ने की ताकत देगा। वायरस का आनुवंशिक विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि ये व्यक्ति दो सार्स-कोव-2के अलग-अलग स्ट्रेन से संक्रमित हुआ है। इसका मतलब ये है कि या तो इस व्यक्ति की रिपोर्ट गलती से पॉजिटिव आई है या फिर ये व्यक्ति उन लोगों में से एक है, जिनमें वायरल का आरएनए। कई महीनों तक रहता है।
अमेरिका के एमोरी वैक्सीन सेंटर की प्रोफेसर सिंथिया डेरडेन का कहना है कि जो लोग कोरोना महामारी में जल्दी संक्रमित हो जाते हैं उन लोगों में ये चार से पांच महीने तक बना रह सकता है। जिसकी वजह से व्यक्ति फिर से संक्रमित हो सकता है। हो सकता है कि ऐसे मामले और आएं। सवाल ये उठता है कि क्या एक बार टीका लगने के बाद आपको दोबारा कोरोना संक्रमित नहीं कर सकता। अगर ऐसे मामले सामने आने लगे तो ये सवाल लाजिमी है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वैक्सीन इंसान के अंदर की ताकत को बहुत ज्यादा बढ़ाएगा और ये जो ताकत जिसको हम लोग इम्यूनिटी सिस्टम कहते हैं वो कोरोना वायरस से ज्यादा ताकतवर हो जाएगी और ये लंबे समय तक मरीज को इस वायरस से रक्षा करेगी।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना वायरस से लोगों के बीच हर्ड इम्यूनिटी तभी डेवलप होगी जब तकरीबन 60 प्रतिशत जनसंख्या संक्रमित हो चुकी हो। हालांकि इस साठ प्रतिशत के आंकड़े को लेकर भी अभी तक सभी एक्सपर्ट्स में एक राय नहीं है। इस वक्त पूरी दुनिया में सिर्फ एक देश स्वीडन ही है जो हर्ड इम्यूनिटी के एक्सपेरिमेंट पर काम कर रहा है। मार्च में जब कोरोना वायरस फैला था तब ब्रिटेन में भी हर्ड इम्यूनिटी की बात कही गई थी, लेकिन आलोचनाओं के बाद सरकार को अपनी बातों से पीछे हटना पड़ा था।
हॉन्गकॉन्ग के एक रिसर्चर ने स्टडी में पाया कि 33 साल के एक व्यक्ति में सबसे पहले कोरोना से दोबारा संक्रमित होना पाया गया। 26 मार्च को ये व्यक्ति को पहली बार कोरोना से संक्रमित हुआ और फिर अप्रैल को दो बार निगेटिव आया। इसके बाद इस व्यक्ति से यूरोप का टूर किया और 15 अगस्त को वो दोबारा से संक्रमित हो गया। हालांकि इस व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं दिखे। स्टडी में पाया गया कि दोबारा संक्रमित हुए व्यक्ति के शरीर में एंटबॉडी नहीं मिली और इस बार वायरस का रूप भी बदला हुआ था।