भगवानपुर- रोम जलता रहा और नीरो चैन की बंशी बजाता रहा। भगवानपुर इलाके के खेड़ीशिकोहपुर गांव के ग्रामीणों की माने तो उनके गांव में एक पशुशाला और तीन घर भीषण आग की चपेट में सुलगते रहे । बावजूद इसके उत्तराखंड की मित्र पुलिस के 100 नंबर पर घंटी बजती रही जबकि 101 नंबर पर कॉल ही नहीं लगी।
खेड़ीशिकोहपुर के ग्रामीण अगर मित्र पुलिस के इन नंबरों के भंरोसे रहती तो आग से गांव का भारी नुकसान हो जाता। क्योंकि आग ने तीन घर और एक पशुशाला को अपनी गिरफ्त में ले लिया । कुछ गांव वाले मदद के लिए पुलिस के दोनों नंबरों पर कॉल करते रहे जबकि बाकि लोग आग बुझाने और पशुशाला के मवेशियों को बचाने की जद्दोजहद में जुटे रहे।
आखिरकार गांववालों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया। लेकिन सूबे की मित्र पुलिस को खबर तक नहीं लगी। एक नंबर पर घंटी बजती रही और दूसरे नंबर पर कॉल ही नहीं लगी।
इस खबर से ये पता चलता है कि जो अपनी मदद खुद करता है भगवान भी उसकी मदद करता है लेकिन उत्तराखंड पुलिस मित्र साधन संपन्न होने के बावजूद जरूरत के वक्त किसी की मदद नहीं कर सकती।
ऐसे में सवाल उठाता है कि अगर 100 और 101 जैसे नंबरों ने मौके पर काम नहीं आना तो सरकारी दावा करने की जरूरत ही क्या है और जनता के पैसे से इनके बिलों को क्यों भुगतान किया जाए।