टिहरी गढ़वाल(हर्षमणि उनियाल) : प्रदेश सरकार बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की तमाम कोशिशें कर रही है लेकिन हालात में कुछ खास सुधार देखने को नहीं मिले रहे हैं। स्थिति जस की तस बनी हुई है. पीएम मोदी पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया की तर्ज पर शिक्षा में सुधार लाने का दावा करती है औऱ त्रिवेंद्र सरकार पीएम मोदी के इस अभियान को सफल बनाने का लाख दावा करती है लेकिन सच्चाई देखनी हो तो टिहरी गढ़वाल के धोपड़धार में आकर देखिए.
आंदोलन करने को मजबूर धोपड़धार के छात्र-छात्राएं,प्राचार्य का पद भी रिक्त
बता दें कि शिक्षक न होने के कारण राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज धोपड़धार के छात्र छात्राएं आंदोलन करने पर मजबूर हैं. छात्र-छात्राएं शिक्षकों की मांग को लेकर अब सड़कों पर तख्तियों के साथ खड़े हैं औऱ सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। और तो और हद तो ये है कि यहां प्राचार्य का पद भी रिक्त है.
पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते शिक्षक
छात्रों का कहना है कि आखिर कब तक पहाड़ी राज्य में पहाड़ी क्षेत्रों की उपेक्षा की जाएगी? क्योंकि अक्सर देखा गया है कि शिक्षक पहाड़ नहीं चढ़ना चाहते हैं और इसकी शिकार पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूल के बच्चे होते हैं. पहाड़ों में अक्सर शिक्षकों की भारी कमी देखने को मिलती है जिससे पहाड़ के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था औऱ बच्चों पर असर पढ़ता है.
समाजसेवक नित्यानंद कोठियाल ने बच्चों के साथ की आवाज बुलंद
वहीं इस आंदोलन में बच्चों के साथ एक अलख जगाने निकले पूर्व छात्र युवा समाजसेवक नित्यानन्द कोठीयाल. समाजसेवक नित्यानंद कोठियाल छात्र-छात्राओ की इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर सड़कों पर उतरे और बच्चों के हक में आवाज बुलंद की। इसी क्रम में छात्र-छात्राओं ने अपने स्कूल बैग पर क्राफ्ट पेपर पर स्लोगन चस्पा किये हैं।
छात्र-छात्राओं का नारा-
बिन शिक्षक कैसे पढ़ेंगे? है हक हमारा बेहतर शिक्षा!
हे सरकार तुम बजट न व्यर्थ करो, शिक्षा पर भी कुछ खर्च करो !!
तो वहीं कई छात्र कविताओं के माध्यम से तो कई छात्र कलाकृतियों के माध्यम से अपना दर्द बयां किया।
छात्रों ने स्कूल की छुट्टी होने के बाद ग्रामीण बाजार में एकत्रित होकर अपने हक की लड़ाई के लिए जमकर नारेबाजी की। वहीं अभिभावक संघ भी छात्रों के हित के लिए छात्र हितेषी कोठीयाल के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आर पार की लड़ाई लड़ने का फैसला किया औऱ बच्चों का साथ देकर आवाज बुलंद की। धो नौनिहालों का भविष्य दावँ पर हो तो कोई भी अपनी आवाज बुलंद करेगा।
1985 में इंटरमीडिएट स्तर पर उच्चीकृत हुआ था स्कूल
युवा समाजसेवी कोठीयाल ने बताया कि यह स्कूल भिलंगना ब्लॉक का दुरस्त क्षेत्र का सीमांत इंटरमीडिएट कॉलेज है. यह स्कूल सत्र 1985 में इंटरमीडिएट स्तर पर उच्चीकृत हुआ था। वर्तमान समय मे इस कॉलेज में कक्षा 6 से 12 तक की कक्षाएं संचालित होती हैं। इस कॉलेज में क्षेत्र के 10 गांव से भी अधिक गाँव के छात्र यहां पढ़ने आते हैं और इन सभी गांव के छात्रों का 12वीं की शिक्षा प्राप्त करने के लिए यह एक मात्र कॉलेज है। इस कॉलेज की वर्तमान छात्र संख्या 520 है।
लेकिन विडंबना देखिए सबको शिक्षा का वादा करने वाली सरकार के राज में और पलायन पर पलायन आयोग जैसे भारी भरकम शब्दों का उपयोग करने वाली सरकार के पास इस विद्यालय में रिक्त पदों को भरने के लिए शायद संसाधन कम पड़ने लगे हैं। सरकार के पास सिर्फ दावे करने के अलावा कोई काम नहीं रह गया है.
इस सीमांत क्षेत्र के एक मात्र इंटर कॉलज में रिक्त पदों की स्थिति इस प्रकार है-
सन 2009 से रसायन विज्ञान.
सन 2013 से हिंदी प्रवक्ता
सन 2014 से अंग्रेजी प्रवक्ता
सन 2017 से अर्थशास्त्र प्रवक्ता सन 2017 से LT भाषा पद
सन 2019 से राजनीतिक विज्ञान प्रवक्ता
2019-जीवविज्ञान प्रवक्ता पद एवम
कॉलेज प्राचार्य का पद भी रिक्त
हद तो यह है कि लंबे समय से यहां पर कॉलेज प्राचार्य का पद भी रिक्त है। इसके मद्देनजर 29 जुलाई 2019 को शिक्षा निदेशालय को ज्ञापन दिया गया था लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे साफ पता चलता है कि शासन के अधिकारी भी नींद में हैंl
छात्रों ने जानकारी दी कि 25 नवम्बर 2019 को पुनः विभाग को गहरी नींद से उठाने के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी को भी ज्ञापन दिया गया है, जिनमें प्रत्यक्ष रूप से लिखा भी है कि यदि जल्द सकारात्मक कार्यवाही न हुई तो लोगों एवं छात्र-छात्राओ उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।
आखिर ऐसे में कैसे पढ़ेगा इंडिया और आगे बढ़ेगा इंडिया, यही बच्चे देश का भविष्य
ऐसे में तो एक ही सवाल खड़ा होता कि आखिर ऐसे में कैसे पढ़ेगा इंडिया और आगे बढ़ेगा इंडिया। क्या सिर्फ दावे करने से राज्य औऱ देश आगे बढ़ जाएगा. जब बच्चों का भविष्य ही खतरे में है तो ऐसे में देश को आगे कौन बढ़ाएगा?? क्यों ये बच्चे ही प्रदेश और देश का भविष्य है इन्हीं बच्चों में वो बच्चे होंगे जो प्रदेश और देश के विकास के लिए काम करेंगे, ये अत्यंत चिंतनीय है जिसके बारे में सरकार को गंभीरता से सोचना होगा.