नैनीताल संवादाता- हाईकोर्ट से राज्य सरकार को चुनावी साल में तगड़ा झटका लगा है। इस झटके के तहत सरकार को उन अध्यापकों को नौकरी से बाहर करना पड़ेगा जिन्होंने टीईटी परीक्षा पास नही की है। माना जा रहा है कि इस वक्त तकरीबन 2000 ऐसे अध्यापक हैं जिन्होंंने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास नही की है। दरअसल साल 2015 के शुरू महीने में राज्य सरकार ने एक शासनादेश जारी किया जिसके तहत तकरीबन 2652 शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाया गया था। इनमे से ज्यादातर शिक्षामित्रों टीईटी पास नहीं थे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ याचिका अदालत मे लगाई गई जिसमे कहा गया कि राज्य के भीतर वे नौजवान बैरोजगार हैं जिन्होंने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की है जबकि सरकार ने बिना टीईटी पास वालों को सहायक अध्यापक बना दिया है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकलपीठ सुधांशु धूलिया ने बगैर टीईटी वाले शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद से बाहर करने के आदेश दिए। जाहिर है चुनावी साल में सरकार के लिए अदालत का ये फैसला गर्म दूध के घूट के माफिक हो गया है। देखना ये दिलचस्प होगा कि सरकार क्या कदम उठाती है। तैनात अध्यापकों को हटाकर नई योग्य नियुक्तियां करती है या फिर और ऊची अदालत की दहलीज पर गुहार लगाती है। हालांकि माना जा रहा है कि सरकार चुनावी साल में कोई जोखिम नही लेना चाहेगी लेकिन ये भी तय है कि सरकार के लिए ये स्थिति आगे कुंआ और पीछे खाई वाली हो गई है।
अदालत के आदेश से सरकार की मुश्किल बढ़ी
