महाशय दी हट्टी यानी की एमडीएच के मालिक का 98 साल की उम्र में निधन हो गया। पिछले दिनों वे कोरोना से संक्रमित हुए थे। जानकारी मिली है कि हार्ट अटैक की वजह से उनका निधन हुआ। बता दें कि गुलाटी का जन्म 27 मार्च 1923 को सियालकोट (पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने 5वीं कक्षा तक पढ़ाई की और साल 1933 में स्कूल छोड़ दी थी। 1947 में देश विभाजन के बाद वह भारत आ गए। भारत आने के वक्त उनके पास केवल 1500 रुपये थे। उन्होंने परिवार के पेट पालने के लिए तांगा भी चलाया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसाले की एक दुकान खोली।
आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच 2020 की सूची में शामिल
इससे पहले साल 1937 में उन्होंने अपने पिता की मदद से बिजनेस शुरु किया और साबुन, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल आदि का कारोबार किया। वह आईआईएफएल हुरुन इंडिया रिच 2020 की सूची में शामिल भारत के सबसे बुजुर्ग अमीर शख्स थे। कभी कुल जमा पूंजी 1500 रुपये वाले हट्टी की दौलत आज 5400 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
आपको बता दें कि पिछले साल ही एमडीएच के मालिक धर्मपाल गुलाटी को व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए पिछले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण से नवाजा था। आज धर्मपाल की देश और दुबई में उनकी मसाले की 18 फैक्ट्रियां हैं।
महाशय धर्मपाल गुलाटी पिता के साथ व्यापार में हाथ बंटाते थे। लेकिन उनका मन नहीं लगा और भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद वे दिल्ली आ गए। गुलाटी ने पहली फैक्ट्री 1959 में दिल्ली के कीर्तिनगर में लगाई थी। लंदन में भी धर्मपाल का ऑफिस है। आज 100 से ज्यादा देशों में एमडीएच मसालों की सप्लाइ होती है। यूरोमॉनिटर के अनुसार, धर्मपाल गुलाटी एफएमसीजी सेक्टर के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ थे। गुलाटी अपनी सैलरी का करीब 90 फीसद हिस्सा दान कर देते थे। वे 20 स्कूल और 1 हॉस्पिटल भी चल रहे थे।