मोहम्मद यासीन। भले की हमारा देश मंगल पर पहुंच गया हो लेकिन आज भी उत्तराखंड में 1500 की आबादी बाले गांव में आने जाने के लिए एक अदद रास्ता ही नहीं है| लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है। इस गांव को देख कर लगता है कि मानो अब भी देश सदियों पीछे के दौर में चल रहा हो। जिक्र यहां ऊधम सिंह नगर के कोपा मुनस्यारी गांव का हो रहा है। इस गांव में पहुंचने के लिए लोगों के पास सिर्फ एक ही सहारा है और वो है नाव। अगर नाव न हो तो इस गांव का संपर्क बाकी हिस्से से कट जाए। दिलचस्प ये है कि ये जिस विधानसभा क्षेत्र के अदंर आता है उसकी नुमांइदगी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय करते हैं।
दरअसल हरिपुरा डैम के पार बसे गांवों के लिए कोई अप्रोच मार्ग ही नहीं है। ग्रामीणों को आने जाने के लिए हर हाल में नाव का सहारा लेना पड़ता है। ये नाव भी समय से चलती है और रात में बंद रहती है। हालात इतने खराब हैं कि अगर रात में किसी की तबियत खराब हो जाए तो उसे गांव में रहना पड़ेगा। फिर बच्चों को स्कूल जाना हो या काम करने वालों को नौकरी पर, सबका सहारा एक नाव। उसमें से भी अब पानी रिसने लगा है।
इस गांव के लिए एक पुल बनाने की मांग पिछले काफी वक्त से होती रही है। विजय बहुगुणा ने बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए इस गांव के लिए एक झूला पुल की स्वीकृति भी दे दी थी। कुछ सालों पर नाप जोख भी हुई लेकिन पुल सरकारी फाइलों में ही रह गया।
अब जब राज्य में डबल इंजन की सरकार है और इलाकाई विधायक मंत्री भी हैं तो लोगों को उम्मीद है कि शायद मंत्री जी तो पुल की याद आ जाए और लोगों को राहत मिल सके।