हल्द्वानी: आज विश्व रक्तदाता दिवस है। कई लोग रक्तदान करते हैं। कहा जाता है कि हर स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए। रक्तदान कीजिए और किसी की जान बचाइये। रक्तदान को महादान कहा गया है। कुछ ऐसे जुनूनी और उत्साही लोग होते हैं, जो हटकर काम करने में विश्वास रखते हैं। ऐसे ही एक युवा हैं हल्द्वानी के प्रमोद शर्मा। उम्र ज्यादा नहीं, अभी 23 साल के युवा हैं। उम्र करियर बनाने की है, लेकिन उनकी जिद्द करियर नहीं, लोगों की जान बचाना है।
जिस उम्र में युवा अपना कैरियर संवारने ओर जिन्दगी बनाने में उलझे रहते हैं। उस उम्र में हल्द्वानी का 23 साल का युवा प्रमोद मिश्रा दूसरों की जिंदगियंा दे रहा है। प्रमोद ने भोपाल से साइंस में ग्रेजुएशन की है, अब तक रक्तदान के जरिये 2000 से ज्यादा लोगों की मदद कर चुका है। प्रमोद की मुहिम ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड से हल्द्वानी के हजारों लोग जुड़े हैं, जिस में से 1526 नियमित रक्तदाता हैं। प्रमोद ने 4 साल पहले इस मुहिम की शुरुआत की थी, जिससे 2 हजार लोगों को अब तक जीवनदान मिल चुका है। बेस अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड का नंबर मौजूद है। मरीज को खून की जरूरत पड़ने पर जैसे ही वो इस नंबर पर मदद मांगता है वैसे ही ग्रुप से जुड़े लोग रक्तदान करने निकल पड़ते हैं।
प्रमोद बताते हैं की जरूरतमंद लोगों का फोन आते ही वे अपने फेसबुक अकॉउंट, हल्द्वानी ऑन लाइन 2011, और ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड के पेज पर मरीज का नाम, नंबर, ब्लड ग्रुप और मरीज से सम्बंधित अस्पताल का नाम पोस्ट कर देते हैं। हल्द्वानी ऑन लाइन 2011 ग्रुप के जरिए यह पोस्ट 1.22 लाख सदस्यों तक एक साथ पहुंच जाती है और जो सदस्य ब्लड डोनेटर्स हैं वे रक्तदान करने पहुंच जाते हैं। फेसबुक पेज पर सभी सदस्यों के फोन नंबर और ब्लड ग्रुप भी दर्ज हैं। प्रमोद के मुताबिक रक्तदान के लिए लोगांे को आगे आना पड़ेगा। क्योंकि उन्हें रेयर ब्लड ग्रुप वाले रक्तदाताओं की सख्त जरूरत है। प्रमोद मानते हैं की सही समय पर खून जरूरतमंद को मिल जाये इससे बेहतर काम दुनिया में कोई नहीं है।
प्रमोद की इस मुहिम से सैकड़ांे लोगांे को जीवन दान मिल चुका है, इस मुहिम के चलते जीवनदान ले चुके लोगों के मुताबिक एक ही फोन कॉल ने जैसे मरीज की जिन्दगी ही बदल दी। एक ही मरीज को खून देने अस्पताल में 7 से 8 लोग एक साथ खड़े हो गए और मरीज की जान बच गयी। उनके मुताबिक यह मुहिम जीवनदायिनी का काम कर रही है। मुहिम उन लोगांे के लिए बहुत अच्छा काम कर रही है जो लोग दूर दराज पहाड़ों से इलाज के लिए हल्द्वानी आते हैं और यहां आकर उन्हें ब्लड बैंक से ब्लड नहीं मिल पाता है। लिहाजा इस मुहिम के जरिये जरूरतमंद मरीज को सही समय पर ब्लड मिल जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की जानकारी के मुताबिक भारत में सालाना करीब एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन इसके मुकाबले करीब 75 लाख यूनिट ही हासिल हो पाता है। यह आंकड़ा हमारे देश के लिए कम डरावना नहीं है कि करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हजारों मरीज दम तोड़ देते हैं। ऐसे हालातों में प्रमोद की यह मुहिम उन लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने का काम कर रही है जो लोग खून के अभाव में दम तोड़ जाते हैं।