देहरादून : उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की वोटिंग में अब केवल 9 दिन बचे हैं. चुनाव से पहले भाजपा त्रिवेंद्र रावत सरकार के विकास कार्यों को ऐतिहासिक बताकर चुनाव मैदान में जाने की दावे कर रही थी लेकिन जैसे ही चुनाव आया भाजपा विकास के दावों और मुद्दों को छोड़कर धर्म की राजनीति पर उतर आई लेकिन ये जनता को देखना है कि वो किसको वोट देंगे। धर्म की राजनीति करने वालों को या राज्य का विकास करने वाले को? भाजपा सिर्फ और सिर्फ एक नेता पर हमलावर हो रही है वो है हरीश रावत. कांग्रेस के वन मैन आर्मी कहलाए जाने वाले हरदा भी अकेले ही बॉलिंग फील्डिंग संभाले हैं और भाजपा को मुंह तोड़ जवाब दे रहे हैं।
चुनाव से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी भी अपने कार्यकाल के 500 फैसलों का दावा कर रहे थे और इन्हीं विकास कार्यों को लेकर चुनाव में जाने की बातें भी कह रहे थे लेकिन जैसे ही चुनाव आया भाजपा हिंदू मुस्लिम की राजनीति पर उतर आई है। धर्म की राजनीति भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा से मुफीद रही है लेकिन क्या उत्तराखंड में भी भाजपा धर्म के आधार पर बांटना चाहती है यह सवाल इन दिनों चर्चाओं में है। कभी मुस्लिम यूनिवर्सिटी तो कभी मस्जिद-मंदिर निर्माण के मुद्दे को उठाकर भाजपा ने हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति की है जो की भाजपा द्वारा सोशल मीडिया पर शेयर की गई फोटो से साफ है कि भाजपा कैसी राजनीति करती है।
अहम मुद्दों को दरकिनार कर धर्म की राजनीति पर उतारु भाजपा
जहां विकास का मुद्दा होना चाहिए वहां भाजपा धर्म की राजनीति कर रही है। राज्य के अहम मुद्दे विकास, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाओं के मुद्दों को दरकिनार कर धर्म की राजनीति पर उतारु हो गई है। कुल मिलाकर भाजपा का लक्ष्य हिंदू मुस्लिम का मुद्दा उठाकर, धर्म की राजनीति कर वोटों को ध्रविकरण करना है। लेकिन भाजपा खुद इस जंजाल में फंस गई है। बीते दिन धन सिंह रावत का दरगाह से निकलते हुए का वीडियो वायरल हुआ।
भाजपा ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बहाने कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी
भाजपा ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बहाने कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी, यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के फोटो से छेड़छाड़ कर उसे वायरल भी कर दिया। भाजपा आईटी सेल ने एक नहीं दो नहीं ना जाने हरीश रावत की कितनी फोटो एडिट कर वायरल की। इस फोटो को लेकर जहां भाजपा समर्थित लोग शेयर कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस में भी आक्रोश है।
लेकिन सोचना लोगों को है और चुनना भी लोगों को है। 14 फरवरी का दिन होगा और लोगों को अधिकारी होगा कि वो किसको अपना नेता चुनते हैं। किसने विकास किया औऱ किसने सिर्फ विकास की बात कहकर दावे कर गहरे गढ्डे में डाल दिए? बड़ा सवाल है कि क्या अब उत्तराखंड की जनता क्या चुनती है,भाजपा की धर्म की राजनीति या विकास?