जहां पूरा देश कोरोना महामारी के इस संकट काल में अपनी जमा पूंजी निकाल कर इस लड़ाई के लिए दे रहा है वहीं उत्तराखंड के माननीय विधायक अपनी सेलरी से 30 फीसदी वेतन कटौती की सहमति देने में हिचक रहें हैं। सरकार और पार्टियां भी इतनी हिम्मत नहीं दिखा पा रही है कि विधायकों को कटौती के लिए सहमति देने के लिए कह सकें।
कोरोना के खिलाफ जारी जंग में पूरा देश एकजुट है। पीएम नरेंद्र मोदी की पहल पर पूरे देश के लोग पीएम केयर्स फंड में अपनी अपनी क्षमता से दान दे रहें हैं ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई कमजोर न पड़े। लेकिन उत्तराखंड के कई भाजपा विधायक ऐसे हैं जिन्हें इस तरह की चैरिटी में कुछ खास नहीं दिख रहा है तभी तो वो अपनी सेलरी में कटौती की सहमति नहीं दे रही है।
दरअसल त्रिवेंद्र सरकार ने कोविड – 19 की लड़ाई में सहयोग के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की सेलरी से कुछ हिस्सा लेने का ऐलान किया। राज्य सरकार के कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। अब तक जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक दो महीने की सेलरी में ये कटौती हो भी चुकी है।
राज्य के आईएएस अधिकारियों ने भी अपनी सेलरी में कटौती कर अपना सहयोग दिया है।
लेकिन राज्य के कई माननीय विधायकों को इस दान पुण्य में कोई खास रुचि नहीं है। इनमें से अधिकतर विधायक बीजेपी के हैं। बीजेपी के 25 विधायकों ने अब भी अपनी सेलरी काटने की सहमति नहीं दी है। सरकार इस बात का इंतजार कर रही है विधायक सहमति दें तो सेलरी काटी जाए। अब ये कब देंगे किसी को नहीं पता।
वैसे बीजेपी के 23 विधायक अपनी सेलरी काटने की सहमति दे भी चुके हैं। हालांकि इनमें से कई ने दान पुण्य को शर्तों पर करने का इरादा किया है इसलिए उन्होंने अपनी सहमति में शर्तें लगा दी हैं। भाजपा के विधायक खजानदास, चंदन राम दास, बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुफाल, मुकेश कोली, विनोद कंडारी, सुरेंद्र सिंह नेगी, विनोद चमोली और ऋतु खंंडूरी ने अपने मूल वेतन से 30 फीसदी कटौती की सहमति विधानसभा को उपलब्ध कराई है।
वहीं हरबंस कपूर, सौरभ बहुगुणा, महेंद्र भट्ट, बलवंत सिंह भौर्यालस, सहदेव सिंह पुंडीर, पुष्कर सिंह धामी, कुंवर प्रणव, चंद्रा पंत, धन सिंह नेगी, महेश सिंह नेगी, संजीव आर्य और सुरेश राठौर ने प्रस्ताव के अनुरूप ही वेतन में कटौती पर सहमति दे दी है। यानी सरकार जिस तरह से चाहती है उस तरीके से कटौती कर सकती है।
भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल ने मूल वेतन और भत्ते में 30 फीसदी कटौती करने की सहमति दी है। हालांकि ये सहमति छह महीने के लिए मान्य है। मुकेश कोली ने भी छह महीने के लिए ही सहमति दी है।
हालांकि आपको बता दें कि कांग्रेस के विधायक पहले ही वेतन में किसी भी तरह की कटौती से साफ इंकार कर चुके हैं।