केरल के कूनूर में रहने वाले कर्नल नाम्बियार पिछले कुछ साल से एक और जंग लड़ रहे हैं और ये जंग है कैंसर की. कूनूर जैसे छोटे शहर में उनकी कैंसर की दवाइयां मिलनी मुश्किल हुईं तो उनकी बहू ने बेंगलुरु से ये दवाइयां कुरियर से भेजना शुरू किया. लेकिन लॉकडाउन की वजह से बहू के लिए भी दवाइयां भेजना नामुमकिन हो गया. ऐसी मुश्किल घड़ी में ‘राइडर्स रिपब्लिक’ ग्रुप के तीन बाइकर्स सामने आए और उन्होंने कर्नल नाम्बियार और उनके परिवार को अहसास कराया कि इस लड़ाई में वो अकेले नहीं हैं.
तीनों ‘राइट टू सेव लाइव्स’ मुहिम से जुड़े हैं, जिसे बेंगलुरु पुलिस ने शुरू किया है. इस मुहिम के तहत दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में गंभीर मरीजों तक जीवन रक्षा दवाएं पहुंचाई जाती हैं. बेंगलुरु में यतीश, बाबू और मोहन जैसे बाइकर्स के लिए जीवन बचाने की दवाइयों के साथ इस तरह के लम्बे सफर करना नई बात नहीं है. लम्बे सफर से पहले बाइक्स की फिटनेस को चेक करना इनका रूटीन है.
आज तक डॉट कॉम के अनुसार सफर शुरू होने के बाद गर्मी, धूप, बरसात कुछ भी उनके इस पवित्र मिशन का रास्ता नहीं रोक पाते. कर्नल नाम्बियार की दवाइयों के साथ तीनों बाइकर्स का सफर शुरू हुआ. मंजिल थी केरल की सीमा और फिर बेंगलुरु वापसी. कुल मिलाकर 700 किलोमीटर की राइड. केरल की सीमा तक पहुंच कर इन्होंने कर्नल नाम्बियार की दवाइयां केरल पुलिस को सौंपी, जिससे कि वो आगे उन तक पहुंचा सकें. कूनूर केरल-कर्नाटक सीमा से ज्यादा दूर नहीं है.


