
1.हरीश रावत जी के नेतृत्व में 2022 में प्रदेश में पुनः कांग्रेस सरकार आ सकती है और हरीश रावत जी धरातल के कार्यकर्ता है अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे कांग्रेस के नेता ।
2. अभी भी समय है अगर बड़े नेता गलती कर रहे तो ये बहुत बड़ी गलती और छोटे नेता गलती कर तो बड़े नेताओं को समझने की जरूरत।। बयान बाजी से सिर्फ पार्टी को नुकसान होगा। हरीश धामी जी और प्रीतम सिंह चौहान माननीय प्रदेश अध्य्क्ष को ब्यक्तिगत नुकसान नही होगा ।। अध्य्क्ष जी को कूल माइंड होने की जरूरत है। पार्टी हित में।
3. सिद्धार्थ सिंह कार्की का कहना है कि मत भेद हो तो सही है मन भेद हुआ तो आपकी बात सच साबित हो जायेगी बडे भैय्या
4. हरीश धामी कॉंग्रेस के हीरे है जो पहाड़ का एकमात्र कद्दावर नेता उनके बारे मे नेता प्रतिपक्ष को कुछ कहने का हक नही है।
5. एक ने लिखा कि अगर ऐसे ही दोनों ग्रुप काम करते रहे तो एक सीट आना भी मुश्किल है। वहीं लोगों ने हरीश धामी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात कही।
6. एक यूजर ने इंदिरा को सलाह दी कि हरीश धामी कॉंग्रेस के हीरे है जो पहाड़ का एकमात्र कद्दावर नेता उनके बारे मे नेता प्रतिपक्ष को कुछ कहने का हक नही है।
ये हैं कांग्रेस के दिग्गज चेहरों के बयान, जिससे फैली आग
- हरीश धामी की पोस्ट, निर्दलीय चुनाव लड़ने की कही बात
माननीय हरीश रावत जी सिर्फ़ नाम नही एक सोच है एक पहचान हैं कांग्रेस की। पिछले दिनो रैली के दौरान जिस तरीक़े से उनका नाम मिटाने की घटिया हरकत तुच्छ सोच वाले कांग्रेसियो ने की है मेरी नज़रों मे में वो सरासर ग़लत हैं और सोची समझी चाल है और मैं इसका कड़ा विद्रोह करता हु। इस तरह की गुटबाज़ी से उत्तराखंड कांग्रेस को कोई लाभ नही होने वाला बल्कि इसका असर पब्लिक मे उलटा ही जाएगा। आपलोग क्या करना चाहते हो ? मेरी समझ से तो परे जा रहा हैं। मैं बिना किसी भूमिका के उन सभी नेताओ को सीधे सीधे ये चेताना चाहता हु कि अगर पहाड़ पुत्र माननीय श्री हरीश रावत जी कीं उपेक्षा हुई तो मैं 2022 का इलेक्शन कांग्रेस के सिम्बल पर ना लड़ कर निर्दलीय लड़ने की भी सोच सकता हु
2. नेता उपसदन करन माहरा की पोस्ट
आज नेता प्रतिपक्ष जी का बयान हरीश धामी जी के विरुद्ध आया है जिसको देखकर मैं बहुत आहत हूं, नेता प्रतिपक्ष या किसी भी पार्टी के नेता का कर्तव्य है कि वह सबको साथ लेकर चले और नेता प्रतिपक्ष जी का यह विशेष कर्तव्य था,आज 70 में से कांग्रेस के केवल 11 विधायक हैं,उनके बीच में कैसे सामंजस्य बैठे यह उनकी जिम्मेदारी है, और नेता प्रतिपक्ष जी का बयान अखबारों में देना या सोशल मीडिया में देना निश्चित ही आहत करने वाला है, क्या 11 विधायकों से सीधे बात नहीं हो सकती, अगर कोई साथी कांग्रेस विधायक या कोई भी कांग्रेस कार्यकर्ता या नेता अपनी पीड़ा को कहता है तो यह सयानो का और बड़े नेताओं का कर्तव्य है कि उनको बैठा कर उनसे बातचीत करी जाए उनकी पीड़ा को समझा जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए, ना कि उनको धमकी दी जाए, जो हरीश रावत जी की अनदेखी हुई है या करी गई है की उसकी चर्चा पार्टी के अंदर करी जा सकती थी|
मीडिया या अखबारों के जरिए नही बल्कि पार्टी के अंदर फोरम में बात करें-करन माहरा
एक ऐसा विधायक जो लगातार सरकार को घेरने का काम करता है, सदन में जिसकी आवाज बुलंद रहती है, जो हमेशा क्षेत्र की समस्याओं के साथ-साथ पूरे प्रदेश की समस्याओं को लगातार सदन में उठाता रहा हो, कांग्रेस के विधायकों में जान भरता हो सरकार से लड़ने के लिए, उसके लिए इस तरीके का व्यवहार आश्चर्यजनक है, मैं यह बता देना चाहता हूं हरीश धामी कांग्रेस की धरोहर है ,और हरीश धामी उन चुनिंदा नेताओं में से एक है जो सदन में लगातार तीन वर्षों तक अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं जनता की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से लड़ते रहे हैं. उनको संभाल के रखना सहेज के रखना पार्टी का काम भी है कर्तव्य भी है, क्या कोई ऐसी एजेंसी है जो शीर्ष नेताओं के ऐसे बयानों पर ऐसी हरकतों पर नजर रखें, माननीय नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश जी हम सभी विधायकों की नेता हैं, सदन में वह हमारा नेतृत्व करती हैं, उनके अंदर अपार क्षमता है और उनके पास एक लंबा राजनीतिक अनुभव है, उनसे मेरी अपेक्षा है कि वह अगली बार से सोशल मीडिया में लिखने से अच्छा उनसे सीधे संपर्क करके चीजों को सुधारने का काम कर सकती हैं, उनसे एक अनुरोध यह भी है कि वह पार्टी के अंदर के मनमुटाव को सोशल मीडिया या अखबारों के जरिए ना रखते हुए पार्टी के अंदर फोरम में बात करें और उन्हें सुलझाने का काम करें|
3. इंदिरा हृदयेश की धामी को नसीहत, दिया ये बयान
हरीश रावत के सोशल मीडिया में अपना दर्द जताने के बाद, प्रदेश नेतृत्व के ऊपर उग्र हुए हरीश रावत के करीबी धारचूला विधायक हरीश धामी ने जहां निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात कही थी, तो वहीं उसके बाद अब धामी ने फेसबुक पर टिप्पणी लिख अपने प्रदेश नेतृत्व पर सवाल उठाए?वहीं इस पर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने हरीश धामी को नसीहत देते हुए कहा कि कभी-कभी ज्यादा वफादारी भी भारी पड़ जाती है, लिहाजा विधानसभा सत्र से पहले कल होने वाली विधायक दल की बैठक में हरीश धामी से इस बारे में बातचीत की जाएगी. इस तरह की बयानबाजी से कांग्रेस संगठन और पार्टी के विधायकों में भी आपसी गुटबाजी खुलकर सामने आ रही है।
प्र4. देश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने साधी चुप्पी
वहीं इन सबको देखकर और सुनकर भी प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह चुप्पी साधे हुए हैं. कांग्रेस में इतना कुछ चल रहा है जिसकी प्रदेश की पूरी जनता और भाजपा को खबर है लेकिन क्या कांग्रेस में गुटबाजी की खबर प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को नहीं होगी? और अगर उनको जानकारी है तो क्यों वो चुप हैं। अक्सर बैठकों मेंइंदिरा औऱ प्रीतम सिंह अकेले अकेले नजर आते हैं । हरीश रावत जो की कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं उन्हें अनदेखा किया जाता है जिससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है लेकिन इसका सारा फायदा भाजपा ले जाएगी। अगर जल्द कांग्रेस में गुटबाजी, द्वेष और ये आपसी लड़ाई खत्म न हुई।
वहीं अब कांग्रेसियों के लड़ाई को जनता ने भी भांप लिया है। लोग सोशल मीडिया पर कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं और कांग्रेस को बचाने के लिए सलाह दे रहे हैं।