देहरादून: प्रदेश के हजारों बीएड प्रशिक्षित बेरोजगारों के गुरूजी बनने का सपना टूट चुका है। कई ऐसे हैं, जिनके सपने भी जल्द चकनाचूर होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। शिक्षक बनने के लिए टीईटी और टीईटी-2 पास करनी होती है। प्रदेश के कई बेरोजगार युवाओं ने 2011 और 2013 में टेस्ट पास कर शिक्षक बनने की योग्यता बड़ी मेहनत से हासिल की थी, लेकिन उनकी मेहनत पर सरकारों ने पानी फेर दिया। आलम यह है कि उनकी डिग्री अब महज एक कागज का टुकड़ा रह जाएगा।
उत्तराखंड बीएड प्रशिक्षित बेरोजगार संगठन की मानें तो प्रदेश में करीब 40 हजार बीएड प्रशिक्षित हैं। इनमें कुछ ने 2011 और कुछ लोगों ने 2013 में अध्यापक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी-1 और टीईटी-2 पास की थी। एनसीईआरटी से जारी प्रमाण पत्र की मान्यता केवल सात सालों के लिए तय की गई थी।
इस हिसाब से 2011 में टीईटी पास करने वालों के प्रमाण पत्र की वैधता अब समाप्त हो चुकी है, जबकि 2013 में टीईटी पास करने वाले बेरोजगारों की मान्यता भी समाप्त होने की कगार पर है। जिन बेरोजगार युवाओं की उम्र बची है, उनको नौकरी हासिल करने के लिए फिर से टेस्ट देना होगा।