देहरादून: उत्तर प्रदेश के निर्दलीय विधायक को पास दिए जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में एसीएस से देहरादून के डीएम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देहरादून के डीएम शासन के किसी भी अधिकारी की चिट्ठी पर आंख मूंद लेंगे ? क्या उनका दायित्व नहीं बनता था कि वो इस मामले में एक बार उच्चाधिकारियों से बात करते ? उन्होंने ऐसा किए बगैर ही पास जारी कर दिए, जो साबित करता है कि डीएम ने इस मामले में गंभीरता नहीं दिखाई।
अपर मुख्य सचिव का मीडिया में एक बयान चल रहा है, जिसमें उन्होंने डीएम को ही कठघरे में खड़ा दिया है। उनका कहना है कि डीएम को इस तरह के मामलों को जिम्मेदारी से लेना चाहिए था। उनकी सिफारिश पर पास जारी करने से पहले मामले को परखना चाहिए था। इससे एक बात साफ हो गई है कि इस पूरे मामले में हर स्तर पर लापरवाही हुई है। लेकिन, डीएम को जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते पास जारी करने से पहले जांच कर लेनी चाहिए थी।
दरअसल, एसीएस की चिट्ठी की जांच करे बगैर ही देहरादून जिला प्रशासन ने सीधे पास जारी कर दिया। इसके चलते अब उन पर भी सवाल उठ रहे हैं। नियम विरुद्ध जारी किये गए पास के कारण प्रशासनिक स्तर पर तो मामला चर्चा में है ही। राजनीति के गलियारों में भी इस मामले की खूब चर्चा हो रही है। कांग्रेस ने सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।