देश कोरोना को मात देने की लिए सरकार ने वैक्सीनेशन पर फोकस किया था, लेकिन अब मामला पूरी तरह हाथ सी जाता दिखाई दे रहा है। मई में देश में टीकाकरण का आंकड़ा तेजी से घटा है, जो चिंता का का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। सरकार की ओर से हमेशा लोगों को वैक्सीन लगवाने पर जोर दिया गया है. लेकिन टीका अनाहीं मिलने के कारण टीकाकरण की रफ्तार पूरी तरह था होने की कगार पर पहुँच गयी है। कोरोना को मात देना के लिए सरकार को टीक उत्पादन पर फ़ोकल करना होगा।
अप्रैल महीने में टीकाकरण तेजी से बढ़ रहा था लेकिन मई के आते-आते यह आधा रह गया। वहीं एक मई से वैक्सीनेशन का तीसरा चरण शुरू हो गया था। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में जब संक्रमण ने जोर पकड़ा तो टीकाकरण में तेजी आई थी और दस अप्रैल को 36,59,356 लोगों को एक दिन में वैक्सीन लगाई गई थी। लेकिन इसके बाद लगातार टीकाकरण की संख्या घटने लगी। वहीं 21 मई को 24 घंटों के अंदर 17,97,274 खुराकें लगाई गईं। इन 40 दिनों के अंदर टीकाकरण में 50.88 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
अप्रैल में औसतन हर दिन 30,24,362 लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही थी लेकिन मई में ये आंकड़ा घटकर 16,22,087 हो गया। covid19india.org के मुताबिक, एक मई से लेकर 20 मई के बीच केवल पांच दिन ही ऐसा हुआ, जब एक दिन में टीकाकरण की संख्या 20-25 लाख के बीच पहुंची। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि अप्रैल में नौ करोड़ और मई में चार करोड़ टीके लगाए गए। भारत में 18 साल से ज्यादा की आबादी के 94 करोड़ लोग हैं। इन लोगों को टीके की दो खुराकें लगाने के लिए 188 करोड़ खुराकों की जरूरत है। टीकों की कमी की वजह से कुछ राज्यों में 18+ लोगों को उचित ढंग से वैक्सीन नहीं लग रही है।