मनीष डंगवाल
उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग ने परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत इसे उपलब्धि के तौर पर भी पेश करते नजर आ रहे हैं। उनका बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड परीक्षा कार्यक्रम घोषित करने वाला पहला राज्य बन गया है। यहां तक तो ठीक है, लेकिन परीक्षा देने आने वाले छात्रों के लिए सरकार ने कुछ नियम तय किये हैं, जो छात्रों के बड़ी मुसीबत बन सकते हैं।
परीक्षाएं कराने की अनुमति
केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से राज्यों को विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में परीक्षाएं कराने की अनुमति के बाद उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग ने परीक्षा कार्यक्रम घोषित किया है। उसके अनुसार राज्य में 24 अगस्त से 25 सितंबर तक परीक्षाएं कराई जाएंगी। एक नवंबर से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होगा। खास बात ये है कि राज्य के बाहर से आने वाले छात्रों का कोरोना टेस्ट कराना अनिवार्य है। बड़ी बात यह है कि इन सभी छात्रों को खुद ही कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट लेकर आनी होगी। रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद ही परीक्षा देनी की अनुमति दी जा सकेगी।
अनिवार्य रूप से क्वारंटीन होना पड़ेगा
यह भी नियम है कि जो छात्रा कोरोना संक्रमित राज्यों के अधिक प्रभावित जिलों से आएंगे, उनको अनिवार्य रूप से क्वारंटीन होना पड़ेगा। इससे एक बात यह भी साफ है कि स्टूडेंट को परीक्षा देने के लिए कम से कम 17 से 18 दिन पहले आना पड़ेगा। ऐसे में छात्रों के पास बहुत कम समय बचा हुआ है। मुश्किल यह है कि राज्य में बाहरी राज्यों के स्टूडेंट बड़ी संख्या में पढ़ते हैं, जो लाॅकडाउन के बाद वापस लौट गए थे। अब समस्या यह है कि फिलहाल सार्वजनिक परिवहन नहीं चल रहे हैं। ऐसे में अपने राज्यों को लौटे छात्र कैसे वापस आ पाएंगे।
22 हजार दूसरे छात्र राज्यों के
उच्च शिक्षण संस्थानों में केवल फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा कराई जाएगी, जिसकी संख्या 72 हजार के करीब है। इनमें 22 हजार के लगभग दूसरे राज्यों के छात्र हैं। इन सभी को कोरोना टेस्ट कराना उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी साबित होे सकती है। परीक्षा में पेपर का समय भी कम कर दिया गया है। इस बार पेपर 3 घंटे के बजाय डेढ़ घंटे का कराया जाएगा।