कैबिनेट बैठक और राज्यपाल से मिली थी मंजूरी
गौर हो की 13 अगस्त को कैबिनेट की बैठक हुई थी। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सुविधा अध्यादेश 2019 को मंजूरी दी गई थी और इसके बाद इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था जिसे राज्यपाल ने भी पास कर दिया था औऱ इसके बाद अधिसूचना जारी की गई थी लेकिन इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसके बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल और उत्तराखंड के पूर्व सीएम कोश्यारी समेत तीन मुख्यमंत्रियों को हाई कोर्ट से झटका लगा है. हाईकोर्ट ने इनसे जवाब मांगा है..
पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को नोटिस की श्रेणी से बाहर
आपको बता दें कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, नारायण दत्त तिवारी, भुवन चंद्र खंडूड़ी,तीन विजय बहुगुणा, और रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को आवास खाली कर ब्याज समेत किराया भरने को कहा था। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को नोटिस की श्रेणी से बाहर किया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने याचिकाकर्ता के तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार को तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
रूरल लिटिगेशन संस्था ने दी सरकार के फैसले को चुनौती
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता के अनुसार देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने राज्य सरकार के उस ऑर्डिनेंस को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी जिसमें राज्य सरकार ने 5 सितंबर 2019 को ऑर्डिनेंस लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया किराए को माफ कर दिया था।
मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी
न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के राज्यपाल बनने के बाद नोटिस जारी नहीं होने का संज्ञान लेते हुए राज्यपाल बनने के बावजूद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी नोटिस जारी करने को कहा है। आपको बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी.