देहरादून : भाजपा के प्रदेश कार्यालय में कार्यरत युवती ने पूर्व संगठन महामंत्री मंत्री संजय कुमार पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था जिसके बाद महिला ने संजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन निकाय चुनाव बीच में आने के बाद मामला ठंडे बस्ते में जाता दिखा. हालांकि संगठन ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया था लेकिन उनके खिलाफ ठोस एक्शन नहीं लिया गया. महिला द्वारा इंसाफ की गुहार लगाई गई और कहा गया कि उस पर दबाव बनाया जा रहा है.
पुलिस का दावा
वहीं अब इस मामले पर हलचल होती दिखाई दे रही है. जी हां इस मामले पर पुलिस जल्द खुलासा करने का दावा कर रही है. जिससे संजय कुमार की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही है साथ संगठन में भी हलचल मच गई है.
युवती के साथ कथित बातचीत के ऑडियो भी हुए थे वायरल
आपको बता दें कि भाजपा के पूर्व संगठन महामंत्री संजय कुमार के युवती के साथ कथित बातचीत के ऑडियो भी वायरल हुए थे औऱ कहा जा रहा था कि कुछ वीडियो भी है जो की संजय कुमार के फोन में है जिसके बाद उनका फोन भी जब्त किया गया था। मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए संजय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की विशेष पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। मीटू प्रकरण में भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री संजय कुमार के खिलाफ छेड़छाड़ करने, अश्लील हरकत करने के आऱोप लगे लेकिन बाद में दुष्कर्म की धारा को भी जोड़ दिया गया और मुकदमा दर्ज किया गया.
पुलिस ने किया मामले का खुलासा करने का दावा
आपको बता दें कि पीड़िता ने पूर्व संगठन मंत्री संजय कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए बीती 10 नवंबर को एसएसपी निवेदिता कुकरेती को ई-मेल के जरिये तहरीर भेज दी थी। एसएसपी ने 11 नवंबर को एसपी देहात सरिता डोभाल की जांच रिपोर्ट के आधार पर शहर कोतवाली पुलिस को अभियोग पंजीकृत करने के आदेश दिए थे। पीड़िता ने एसपी देहात से मिलकर आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तहरीर दी थी। वहीं कई महीने बीत जाने के बाद पुलिस दावा कर रही है कि कुछ दिनों में मामले का खुलासा कर दिया जाएगा, पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार जांच के बाद संजय गुप्ता पर लगी धारा 376 को हटा दिया गया है.
क्या पुलिस पर है राजनैतिक प्रेशर
मामले की जांच की गति को देख कहा जा रहा है कि पुलिस पर राजनैतिक प्रेशर है जिस कारण पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि एक तरफ सरकार औऱ पुलिस महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की बात करती है लेकिन यौन शोषण का आरोप जिस पर लगा है उसे बचाने की फिराक में है. कहा जा रहा है कि पुलिस पर भी सरकार का प्रेशर है अपनी लाज बचाने के लिए इसलिए इस केस को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई और अब राजनैतिक प्रेशर के कारण ही धाराओं को हटाया जा रहा है.
खैर अगर महिला के आरोपों में जरा भी सच्चाई है तो जरुर पुलिस को इस मामले की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए औऱ दोषी को सजा मिलनी चाहिए.