दरअशल देहरादून नीवासी मनीष वर्मा ने उच्च न्यायालय में ‘निशंक’ के नामांकन को चुनौती दी थी. खुद लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे मनीष ने न्यायालय से कहा है कि निशंक ने हलफनामा दायर कर बतौर पूर्व मुख्यमंत्री मिले सरकारी आवास और अन्य सुविधाओं के बकाए को लेकर तथ्य छिपाया है.
मनीष वर्मा ने कहा था कि ‘निशंक’ ने अपनी बेटी के बैंक खातों का भी उल्लेख नहीं किया है. निशंक ने दिल्ली स्थित सांसद आवास का प्रोविजिनल सर्टिफिकेट लगाया है. याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा कि इस शिकायत को लेकर वो निर्वाचन के अधिकारियों से भी मिले, लेकिन निशंक ने कहा कि उनकी बेटी उनपर निर्भर नहीं है. याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया ता कि रिटर्निंग अधिकारी ने 26 मार्च 2019 को उनकी आपत्ति खारिज कर दी है, इसलिए उच्च न्यायालय ही निशंक का नामांकन रद्द करे।
न्यायमूर्ति आलोक सिंह की एकलपीठ ने आज मामले में सुनवाई के बाद विपक्षी ‘निशंक’ के खिलाफ साक्ष्य के आभाव में याचिका को खारिज कर दिया है.