टिहरी: रेल जोन हो या फिर ऑरेंज या ग्रीन जोन। हर जोन के लोगों को वापस उत्तराखंड लाने के लिए दिन-रात बिना विशेष सुरक्षा उपकरणों और जान की परवाह किए बगैर जुटे हैं। लोगों को सकुशल उनके घर पहुंचाने के लिए भूखे-प्यासे भी काम कर रहे हैं। बावजूद उनको दो महीने से वेतन नहीं मिला है।
उत्तराखंड परिवहन निगम के चालक-परिचालक दिन-रात प्रवासी उत्तराखंडियों को उनके घर पहुंचने के काम में जुटे हैं। बसों के चालक और परिचालक इस बात की भी चिंता नहीं कर रहे हैं कि जिस बस में वो लोगों को लेकर आ रहे हैं। उनमें कोई कोरोना पाॅजिटिव हो सकता है। और उससे उनको भी कोरोना होने का खतरा है।
इन कोरोना वाॅरियर्स का हाल ये है कि इनको पिछले करीब तीन माह से वेतन ही नहीं मिला है। इन चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। लालकुआं रेलवे जंक्शन पर उत्तराखंड प्रवासियों को लेकर जो भी ट्रेन पहुंच रही है। उन प्रवासियों को पर्वतीय जनपदों में उनके घरों तक पहुंचाने के लिए परिवहन निगम के चालक-परिचालक जान हथेली पर रखकर कोरोना काम कर रहे हैं।
चालक-परिचालक शिकायतय भी कर चुके हैं और विरोध भी दर्ज करवा चुके हैं। तीन महीने से वेतन नहीं मिला, लेकिन अपनी ड्यूटी निभाने से पीछे नहीं हो रहे हैं। बिना वेतन मिले ही काम पर पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं। उनका कहना है कि अधिकारी टालमटोल वाला जवाब देकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं।