महाराष्ट्र: देशभर में कोरोना का संकट चल रहा है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र है। अब तक के सबसे ज्यादा पाॅजिटिव मामले यहीं से आए हैं। महाराष्ट्र में कोरोना संकट के बीच एक सियासी संकट भी गहरा गया था। इस सियासी संकट को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी टाल सकते थे, लेकिन भगत दा ने गेंद को अपने पाले से ठोकर मारकर चुनाव आयोग की तरफ सरका दिया था। चुनाव आयोग ने कोरोना संकट के बीच ही सियासी संकट के समाधान का विकल्प दिया है। इससे यह माना जा रहा है कि सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी फिलहाल बची रहेगी। उन पर मंडरा रहा खतरा टल गया है।
चुनाव आयोग ने विधान परिषद की 9 खाली सीटों पर चुनाव कराने के लिए हरी झंडी दे दी है। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने गुरुवार को खाली सीटों पर जल्द चुनाव की गुजारिश की थी। उससे पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था और इसे मीडिया में भी जारी कर दिया था। इसमें उन्होंने विधान परिषद की 9 खाली सीटों पर जल्द से जल्द चुनाव की गुजारिश की है। उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक, किसी भी मंत्री को (मुख्यमंत्री भी) पद की शपथ लेने के छह महीने के अंदर किसी विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होना अनिवार्य है। उद्धव ठाकरे बिना चुनाव लड़े ही सीधे सीएम बने हैं, ऐसे में उन पर यह नियम लागू होता है। उन्हें 27 मई 2020 से पहले परिषद में चुना जाना जरूरी हो गया था।
जनवरी 2020 में विधान परिषद की दो सीटों के लिए चुनाव हुए थे, लेकिन उद्धव ठाकरे चुनाव नहीं लड़े। 24 मार्च को विधान परिषद की धुले नांदुरबार सीट पर उपचुनाव होना था। इसी दिन विधान परिषद की 9 और सीटें खाली हो गईं। ऐसे में उद्धव ठाकरे ने उम्मीद लगाई थी कि वह इनमें से किसी एक सीट से चुनाव जीत जाएंगे और मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसी बीच कोरोना वायरस ने सारा गणित बिगाड़ दिया। लेकिन, अब चुनाव आयोग ने 9 सीटों पर एमएलसी चुनाव का रास्ता साफ करते हुए उद्धव को राहत दी है।