नैनीताल : कानून की पढ़ाई कर रहे युवाओं के लिए वकालत के क्षेत्र में बतौर अधिवक्ता काम करना अब पहले जैसे आसान नहीं रहेगा। नये अधिवक्ता बनने का ख्वाब बुन रहे युवाओं को डिग्री हासिल करने के बाद भी एक और टेस्ट पास करना होगा। ये नियम उन सभी युवाओं पर लागू होगा, जिन्होंने 12 अगस्त 2010 के बाद विधि स्नात किया है। इस टेस्ट को पास करने के बाद ही वो किसी भी तरह की वकालत की प्रैक्टिस करने के योग्य माने जाएंगे।
बार काउंसिल ऑफ इण्डिया प्लेस एंड वैरिफिकेशन रूल्स-2015 के तहत जिन अधिवक्ताओं ने 12 अगस्त 2010 के बाद विधि स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की है और बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड में अपना पंजीकरण कराया है, उनको विधि व्यवसाय करने के लिए ऑल इंडिया बार एग्जाम उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने की स्थिति में वह अधिवक्ता के रूप में उत्तराखंड के किसी भी न्यायालय में प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। उनको बार कॉसिंल ऑफ उत्तराखंड या फिर शासन से किसी भी तरह की सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा। प्रकार की सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट में दिए उत्तराखंड बार काउंसिल अध्यक्ष सुरेंद्र पुंडीर ने बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड ऐसे अधिवक्ताओं को समय-समय पर निर्देश देती रहती है। साथ ही प्रदेश की सभी बार एसोसियेशन से भी अनुरोध है कि ऐसे अधिवक्ताओं को अपनी बार एसोसिएशन की सदस्यता न दें, उन्होंने ऑल इंडिया बार एग्जाम पास नहीं किया है। उन्होंने बताया कि 31 अगस्त 2020 तक ऑल इंडिया बार एग्जाम के लिए आवेदन कर परीक्षा उत्तीर्ण कर लें। इसके बाद बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड, ऑल इण्डिया बार एक्जाम पास नहीं करने वाले अधिवक्ताओं की सूची बनाकर अधिवक्ताओं को रोल से बाहर करने की कार्रवाई करेगी।