देहरादून: उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू और प्रदेश संगठन के बीच इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा उत्तराखंड संगठन स्तर पर कई जानकारियां ऐसी होती हैं, जिनको सीधे भाजपा संगठन को रिपोर्ट किया जाता है। लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा है। उनको जानकारी देने की जगह, उनसे बातें छुपाई जा रही हैं।
श्याम जाजू की अनदेखी करनी शुरू
प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू का कद भाजपा हाईकमान ने कम क्या किया, उत्तराखंड भाजपा ने प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू की अनदेखी करनी शुरू कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के ने अपनी टीम में श्याम जाजू को जगह नहीं दी है। यानी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जो जिम्मेदारी श्याम जाजू के पास थी, वह अब नहीं है। लेकिन, श्याम जाजू प्रदेश प्रभारी अब भी बन हुए हैं।
रिपोर्ट भेजना बंद कर दिया
ऐसे में सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि उत्तराखंड भाजपा ने उन्हें रिपोर्ट भेजना एक तरह से बंद कर दिया है, जिससे भाजपा के भीतर ही प्रदेश प्रभारी की अनदेखी होने पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने हाल ही में 5 अक्टूबर का कार्यकारणी का विस्तार और मोर्चों की कार्यकारणी घोषित की थी।
कार्यालय की गलती बता दिया
पार्टी के संविधान और नियमों के अनुसार घोषित कार्यकारणी की सूची प्रदेश प्रभारी को भेजी जानी अनिवार्य है, लेकिन नहीं भेजी गई। इस मामले में जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत से बात की तो उन्होंने इसे कार्यालय की गलती बता दिया। वहीं, प्रदेश प्रभारी का कहना है कि ये पार्टी का आंतरिक मामला है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल का कहना है कि हो सकता है लिपिकिय त्रुटी की वजह से लिस्ट नहीं भेजी गई होगी। कुलमिलाकर भाजपा संगठन इस पर लिपापोती कर बच निकलने का कारता नजर आ रहा है।
संगठन स्तर पर कोई गलती हुई होगी
वहीं, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू की अनदेखी को लेकर उत्तराखंड भाजपा की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रितू खंडूरी का कहना है कि उन्हें नहीं लगता है कि संगठन स्तर पर कोई गलती हुई होगी। श्याम जाजू का कद पार्टी में बहुत ऊपर है। इसलिए वह इस मामले पर कुछ नहीं कहना चाहती हैं।
खुलकर बोलने को तैयार नहीं
प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू की अनदेखी पर पार्टी का काई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। लेकिन, प्रदेश प्रभारी को कार्यकारणी विस्तार और मोर्चा के कार्यकारणी घोषित होने की लिस्ट नहीं भेजी जाने पर खूबर चर्चाएं हो रही हैं। सवाल इस बात का है कि आखिर वह कौन सी वजह है, जिसके चलते प्रदेश प्रभारी की अनदेखी की जा रही है।