देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जहां सरकारी दफ्तरों में कोरोना पाॅजिटिव मिलने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। फैक्ट्रियों में भी कोरोना की मार के कारण काफी हद तक कामों पर फर्क पड़ रहा है। वहीं, अब कोरोना का असर सरकार पर भी नजर आ रहा है। सरकार के मंत्री और विधायक लगातार कोरोना की चपेट में आते जा रहे हैं। इससे सरकार का काम भी प्रभावित हो रहा है।
सबसे पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज
सबसे पहले कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज कोराना पाॅजिटिव पाए गए। अब शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक केाराना पाॅजिटिव पाए गए हैं। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के घर में भी कोरोना दस्तक दे चुका है। उनका बेटा और भतीजी कोरोना पाॅजिटिव पाए गए हैं। इसके चलते सुबोध उनियाल भी सेल्फ आइसोलशन में हैं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के दो ओएसडी, चालक और एसपीओ भी कोराना पाॅजिटिव पाए गए हैं। कालाढूंगी से विधायक और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी कोराना पाॅजिटिव पाए गए।
विधायक भी कोरोना पॉज़िटिव
भाजपा विधायक सौरभ बहुगुणा, विनोद चमोली, नवीन दुमका भी करोना पाॅजिटिव पाए जा चुके हैं। सरकार के विधायकों के साथ दो कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री के स्टाॅफ को कोराना ने अपनी चपेट में लिया है, जिससे सरकार पर कोराना का खतरा बढ़ता जा रहा है। राज्य मंत्री रेखा आर्या का कहना है कि कोराना के बढ़ते मामलों का असर शासकीय कार्यांे पर भी पड़ रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं है, लेकिन उसके बाद भी सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी को कोराना से सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
बीजेपी पर कोरोना फ़ैलाने का आरोप
ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा के कुछ विधायक और दो कैबिनेट मंत्री ही कोराना की चपेट में आएं हांे। पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार भी कोरोना पाॅजिटिव हुए थं। कांग्रेस नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकर राज बेहड़ को भी कोरोना हो चुका है। नेता प्रतिपक्ष इंद्रा हृदयेश के बेटे समित हृदियेश भी कोराना पाॅजिटिव पाए गए। कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना कोराना फैलाने के लिए भाजपा नेताओं को जिम्मेदार मान रहे हैं। धस्माना का कहना है कि भाजपा नेताओं ने बकायदा कोरोना को निमंत्रण दिया है। उत्तराखंड में दिन प्रतिदिन कोराना के मामले आंकणों के लिहाज से बढ़ते जा रहे है। जिसमें कई नेता भी कोराना की चपेट में आ रहे है। अब उत्तराखंड सरकार पर भी कोराना का खतरा बढ़ रहा है जो शासकीय कार्यों की धीमी पड़ती गति के लिए चिंता बढ़ रहा है।