देहरादून : उत्तराखंड में मंत्री-अधिकारी विवाद को लेकर अब सियासी तूफान दूसरा रूप लेता नजर आ रहा है। मामले में भाजपा में ही एक खेमा अधिकारियों के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। सरकार के लिए इस मामले को समेटना अब मुश्किल साबित हो रहा है। विपक्ष भी इस पर नजर बनाए हुए है और सही मौके की तलाश में है। भाजपा को इस बात का भी डर है कि अगर यह मामला कुछ और आगे बढ़ा तो उनके लिए दिक्कतें हो सकती हैं।
महिला एंव बाल विकास मंत्री रेखा आर्य और IAS वी. षणमुगम के बीच आउटसोर्सिंग एजेंसी के चयन को लेकर विवाद हो गया था। विवाद इतना बढ़ गया कि वो असल मसले से भटक कर अफसरों की सीआर लिखने पर आकर अटक गया। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अधिकारियों की सीआर मंत्रियों के द्वारा लिखे जाने का मसला उठाया तो, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी मंत्री के पक्ष में खड़े हो गए।
इस मामले में अब नया मोड़ ये आया है कि भाजपा के विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री खजान दास ने कहा है कि अधिकारियों की सीआर लिखने को विवाद का विषय नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा है कि एक अफसर के पास 3 से 4 मंत्रियों के विभाग होते हैं।
ऐसे में अफसर किस मंत्री के पास अपनी सीआर लिखवाए ये तय कर पाना मुश्किल है। यह एक व्यवाहारिक दिक्कत है। यही कारण है कि मुख्यसचिव की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री फाइनल सीआर लिखते हैं। उन्होंने कहा कि इसको लेकर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। जनहित के कार्य आपसी सामंजस्य से होने चाहिए।