दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए 10 से ज्यादा लोगों की कोरोना से मौत हो गई है. इनमें से सबसे ज्यादा मौत तेलंगाना में हुई हैं, जबकि तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और जम्मू कश्मीर से भी एक-एक व्यक्ति की मौत की खबर है. वहीं एक युवक विदेशी भी बताया जा रहा है। वहीं बड़ी खबर ये है कि मौलाना साद से मिलने एऩएसए अजीत डोभाल भी गए थे। ऐसी भयानक संक्रमण की स्थिति में इतना बड़ा कदम वो भी गुपचुप तरीके से कई सवाल खड़े कर रहा है।
मरकज के नेता सुनने को तैयार ही नहीं थे-रिपोर्ट्स
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मरकज के नेता सुनने को तैयार ही नहीं थे। इस बीच रात 2 बजे अमित शाह के कहने पर एनएसए डोभाल को वहां पहुंचना पड़ा था। जानकारी मिली है कि जब मौलाना साद ने दिल्ली पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों की फरियाद को अनसुना करके मस्जिद को खाली करने से इनकार कर दिया था तो गृहमंत्री अमित शाह ने एनएसए डोवाल को कॉल कर वहां जाने और मामला सुलझाने की बात कही थी।
28-29 की रात 2 बजे डोभाल मरकज पहुंचे थे
मिली जानकारी के अनुसार 28-29 की रात 2 बजे डोभाल गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ मरकज पर पहुंचे थे। उन्होंने मौलाना साद को आश्वस्त किया कि वह मरकज में मौजूद सभी लोगों को कोविड-19 इंफेक्शन की टेस्टिंग कराए और उन्हें क्वारंटाइन किया जाए।
अब सवाल ये उठ रहा है कि पूरा देश कोरोना के कहर से वाकिफ है तो ऐसे में अमित शाह ने कैसे इतना बड़ा कदम उठाने का फैसला किया वो भी गुपचुप तरीके से। 18 मार्च को तेलंगाना के करीमनगर में नौ इंडोनेशियाई नागरिकों का पता चला और सभी कोरोना पॉजिटिव आए थे। उसके बाद से ही शाह और डोवाल को इस बात का अंदाजा था कि निजामुद्दीन मरकज में भी इस तरह की स्थितियां बन रही हैं।