नई दिल्ली : कोरोना की वैक्सीन खोजने में दुनियाभर में काम चल रहा है। लगातार रिसर्च किये जा रहे हैं। भारत में भी लगातार इस पर काम चल रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए एक अगल रास्ता भी चुना है। उस अलग रास्ते पर चलकर सरकार ने कोविड-19 इम्युनिटी बूस्टर थेरेपी के लिए कुछ परंपरागत दवाओं पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है। इनमें आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी दवाएं बनाने वाली 20 से ज्यादा कंपनियां हिस्सा ले रही हैं।
आयुष मंत्रालय ने अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुड़चि और पिप्पली जैसी जड़ी-बूटियों के साथ-साथ एक पॉली हर्बल फाॅम्र्यूलेशन पर रिसर्च के लिए प्रोटोकॉल डेवलप किया है। इम्युनिटी बूस्टर ड्रग तैयार करने में हमदर्द लैबोरेट्रीज, डाबर, श्री श्री तत्व जैसी कंज्यूमर गुड्स कंपनियां जुटी हैं। उन्होंने ट्रायल को रजिस्टर भी करा लिया है। हमदर्द लैबोरेट्रीज ने यूनानी चिकित्सा पद्धति के आधार पर इम्युनिटी बूस्टर प्रॉडक्ट्स का ट्रायल शुरू कर दिया है। क्लिनिकल ट्रायल एसिम्प्टोमेटिक और संदिग्ध कोविड मरीजों पर किए जाएंगे।
ट्रायल के नतीजे दो महीने के भीतर आने की संभावना है। आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की आयुर्वेदिक कंपनी श्री श्री तत्व ने बैंगलोर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ समझौता किया है। कंपनी 50 एसिम्प्टोमेटिक और हल्के लक्षण वाले कोविड मरीजों पर इम्युनिटी बूस्टिंग फाॅम्र्यूलेशन का ट्रायल करेगी। डाबर इस बात पर रिसर्च कर रहा है कि उसका च्यवनप्राश कोविड-19 को रोक सकता है या नहीं। इन सभी के अलावा परंपरागत भारतीय औषधि के प्रभावों पर भी रिसर्च हो रही है। क्लिनिकल ट्रायल्स को आयुष मंत्रालय सहयोग कर रहा है। आईसीएमआर भी इस पर नजर बनाए हुए है।