नई दिल्ली: भांग को अब तक नशीला पदार्थ माना जाता था। लेकिन, अब भांग को दवा की मान्यता मिल गई है। इतना ही नहीं भांग को खतरनाक से कम खतरनाक चीजों की सूची में डाल दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र के नारकोटिक औषधि आयोग ने भांग के पौधे को सख्त पाबंदियों वाले मादक पदार्थों की सख्त पाबंदियों की सूची-4 से हटा लिया है। इस सूची में उस अफीम और हीरोइन के साथ रखा गया था। अब यह कम खतरनाक मानी जाने वाली वस्तुओं की सूची में रहेगा।
27 देशों ने किया समर्थन
आयोग के 13 सदस्य देशों में से 27 ने समर्थन में मत दिया। वहीं 25 ने खिलाफ वोट डाले। भारत ने समर्थन में वोट डाला। भांग के पौधे को अब भी पाबंदियों की सूची-1 में बनाए रखा गया है, इसके मायने हैं कि इसे जन स्वास्थ्य के लिए खतरा माना गया है। पहले जनवरी 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भांग और इसके रस को 1961 में बनी प्रतिबंधित मादक पदार्थों की चैथी सूची से हटाने की सिफारिश की थी। इसकी वजह इसका उपयोग दर्द निवारण सहित कई बीमारियों में होने को बताया गया।
जानिए कौन है खिलाफ
इस मतदान में भारत ने समर्थन में वोट डाला। अमेरिका और अधिकतर यूरोपीय देश भी भांग को पाबंदियों की सख्त सूची में से हटाने के पक्षधर रहे। वहीं चीन, मिश्र, नाइजीरिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान ने इसके खिलाफ वोट डाला।
ये पड़ेगा असर
भांग के औषधीय गुणों की स्वीकार्यता के रूप में देखा जा रहा है। बीते 59 वर्षों से विशेषज्ञों के अनुसार, इसी वजह से इसका औषधीय उपयोग बढ़ाया नहीं जा सका। अकेले अमेरिका और यूरोप में भांग के पत्तों से बनी क्रीम, सोडा वाटर सीरम और जूस जैसे उत्पादों का बाजार 2025 में 2.5 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है।