देहरादून : कोरोना महामारी के चलते पहली बार राष्ट्रीय खेल पुरस्कार वितरण समारोह 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस पर वर्चुअल आयोजित किया गया। मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, अर्जुन अवॉर्ड, द्रोणाचार्य अवॉर्ड और ध्यानचंद अवॉर्ड दिया। इस साल 74 खिलाड़ियों को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया, जिसमें पांच को खेल रत्न और 27 को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। इनमें से 60 खिलाड़ियों ने भारतीय खेल प्राधिकरण के 11 केंद्रों से वर्चुअल समारोह में हिस्सा लिया।
इस बार खेल पुरस्कारों में उत्तराखंड के हिस्से भी एक पुरस्कार आया है। गोल्डन बाॅय के नाम से मशहूर और जूनियर निशानेाबाजी टीम के मुख्य कोच देहरादून जिले के जौनसौर निवासी जसपाल राणा को भी द्रोणाचार्य पुस्कार मिला है। जसपाल राणा को इससे पहले भी कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं। निशानेबाज और भारतीय जूनियर पिस्टल टीम के मुख्य कोच देवभूमि के जसपाल राणा को आलंपिक कोटा हासल करने और उनके शिष्य मनु भाकर की सफलता के लिए उनको द्रोणाचार्य अवार्ड से नवाजा गया।
जसपाल राणा ने 1995 के कॉमनवेल्थ गेम्स की शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले गोल्डन बॉय जसपाल राणा को शूटिंग उनके पिता नारायण सिंह राणा ने सिखाई। उनकी बेटी देवांशी राणा भी नेशनल स्थर पर पदक हासिल कर चुकी हैं। 1995 में इटली के मिलान शहर में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ गेम्स की शूटिंग स्पर्धा में आठ गोल्ड जीतकर उन्होंने नया रिकॉर्ड बनाया था।
1994 में उनको अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा यश भारती पुरस्कार (1994), राजधानी रत्न पुरस्कार, इंदिरा गांधी प्रियदर्शिनी पुरस्कार आदि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे कई अवाॅर्ड जीत चुके हैं। लंबे समय तक राष्ट्रीय शूटिंग परिदृश्य से दूर रहे जसपाल राणा ने देहरादून में भी शूटर तैयार किए। पौंधा में उनकी जसपाल राणा शूटिंग एकेडमी भी है। जहां युवा निशानेबाजों को तैयार कर रहे हैं।