आरटीआई में बड़ा खुलासा
आपको बता दें हरिद्वार से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष वर्मा के अनुसार रमेश पोखरियाल निशंक ने नामांकन के दौरान जरुरी तथ्य छुपाए हैं. आरटीआई द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार निशंक पर सरकार के 2 करोड़ रुपये देनदारी है और इस बात की जानकारी राज्य सरकार द्वारा RTI में दी गयी है और राज्य सरकार ने इस सम्बंध में शपथ पत्र के साथ उत्तर भी नैनीताल हाई कोर्ट में पी आई एल संख्या 90/2010 रुलक बनाम पूर्व मुख्यमंत्री में राज्य सरकार दे चुकी है.
नामांकन के शपथ पत्र में अपनी देनदारियों की जानकारी क्यों छुपाई?
बड़ा सवाल यह कि जब हाईकोर्ट में भी देनदारी राज्य सरकार बता चुकी है तो रमेश पोखरियाल निशंक ने नामांकन के शपथ पत्र में अपनी देनदारियों की जानकारी क्यों छुपाई? क्यों झूठा शपथ पत्र दाखिल किया? निर्वाचन आयोग व सुप्रीम कोर्ट के अनुसार झूठा शपथ पत्र देना व जानकारी छुपाना तथा अधूरा फार्म भरने पर नामांकन निरस्त करने का प्रावधान है.
निशंक की मुश्किलें बढ़ी निरस्त हो सकता है नामांकन!
निशंक की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही है. जी हां RTI में प्राप्त जानकारी के अनुसार जनरल बीसी खंडूरी और भगत सिंह कोशियारी पर भी करोड़ों की देनदारी है. इसिलए बीसी खंडूरी और भगत सिंह कोशियारी इस बार चुनाव से रहे दूर. इस दौरान खुलासा हुआ कि रमेश पोखरियाल निशंक ने एक बड़ा तथ्य यह भी छुपाया कि निशंक को नारायण दत्त तिवारी सरकार ने 2 भूमि आवंटन की थी जिसमे एक संपादक सीमन्त वार्ता के नाम (जो कि यह खुद है व शपथ पत्र में अपना व्यवसाय यही दिखाया है) व एक हिमालयन आयुर्वेदिक कॉलेज के नाम पर. जिसमे उनकी पुत्री है और 2014 में वह अविवाहित थी इसलिए वो भूमि भी पारिवारिक हुई.
सांसद रमेश पोखरियाल निशंक कर नाम श्रीनगर में जमीन
निशंक ने भरे नामांकन में 2 करोड़ रुपये की सरकारी देनदारियों सहित दोनों संपत्तियों की जानकारियां छुपाई और शपथ पत्र के दोनों कालम में शून्य लिखा और शपथ पत्र के अन्य कालम जिसमे इन देनदारियों के बाबत केस की जानकारी देनी थी वहां भी शून्य लिख दिया और पिछले चुनाव की आपति जो कि अभी तक लंबित है. उसमें सरकार से प्राप्त पत्र में स्पष्ट लिखा है कि सांसद रमेश पोखरियाल निशंक कर नाम श्रीनगर में जमीन है.
भाजपा को लगेगा झटका या विपक्षी पार्टियों को?
देखने वाली बात होगी की कल हाईकोर्ट क्या फैसला सुनाता है…ये भी देखने वाली बात होगी की हाईकोर्ट के फैसले से भाजपा को झटका लगता है या विपक्षी पार्टियों को.