हल्द्वानी : आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गोनिया ने एक बार फिर से आरटीआई के तहत ऐसी जानकारी मांगी कि जवाब देख होश उड़ गए. हल्द्वानी निवासी आरटीआई कर्ता हेमंत गोनिया ने फिर से जानकारी मांगकर एक और बड़ा खुलासा किया है जिससे खेल मंत्री और खेल विभाग दोनों पर सवाल खड़े होने लग गए हैं आखिर सरकार औऱ खेल विभाग कैसे लापरवाह हो सकता है. RTI के खुलासे से खेल विभाग की पोल खुलती दिख रही है और इसके बाद चर्चाएं की जा रही है कि क्या सरकारी पैसों का सही में इस्तेमाल किया गया या डकाए लिए गए.
दरअसल आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार गोलापार में बने अंतरराष्ट्रीय इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम में सरकार से कुल 194 करोड़ धनराशि स्वीकृत की गई थी जिसमें से 150 करोड़ धनराशि उपल्ब्ध हुई और 150 करोड़ की राशि ही स्टेडियम बनाने में खर्च की गई. जिसकी प्रगति का प्रतिशत लगभग 80% है और कार्य पूर्ण होने की संभावित तिथि नवंबर 2017 है लेकिन अगर गौर करें स्टेडियम के निर्माण कार्य में उपयोग में लाई गई साम्रगी की तो उसने खेल विभाग की और निर्माण कर रही कंपनी की पोल खोलकर रख दी.
स्टेडियम की हालत खस्ता. जिम्मेदार कौन
क्योंकि अगर करोड़ों की लागत से बने स्टेडियम की हालत को देखा जाए तो हालत बहुत खस्ता हो गई है…दीवारों पर लगा पेंट उतर चुका है…यहां तक की दीवारों में छेद हो चुके हैं…लोहे सामग्री में जंग लग चुका है…इससे एक ही सवाल मन में उठ रहा है कि आखिर इतना बजट मिलने के बाद भी स्टेडियम की हालत खस्ता कैसे है. खेल विभाग पर भी सवाल उठ रहा है कि कि क्या स्टेडियम में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर पैसों को डकार लिया गया है.
क्या हमेशा सरकार के करोंड़ो की धनराशि से ऐसा ही निर्माण कार्य किया जाएगा ताकि कुछ ही समय में उसकी हालत खस्ता हो जाए. खेल मंत्री अरविंद पांडे से अपील है कि वो इस मामले पर जरुर ध्यान दें औऱ देखेX की आखिर किसकी गलती पर स्टेडियम को खस्ता हाल में लाने पर मजबूर किया..इसका जिम्मेदार कौन है?