देहरादून(मनीष डंगवाल) : उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में से एक देवप्रयाग विधानसभा इन दिनों खासी चर्चाओं का विषय उत्तराखंड कि सियासत का केंद्र बिंदू इन दिनों बना हुआ है। चर्चाएं देवप्रयाग विधान सभा में शराब फैक्ट्री के खोले जाने और एनसीसी मुख्यालय देवप्रयाग विधान सभा से पौड़ी शिफ्ट किए जाने को लेकर है। शराब फैक्ट्री खोले जाने को लेकर जहां राजधानी देहरादून में ज्यादा सियासी गर्मी देखी जा रही है वहीं एनसीसी मुख्यालय देवप्रयाग से बाहर जाने लेकर देवप्रयाग में ज्यादा सियासी गर्मी देखी जा रही है,जिसे सियासी साजिश भी बताया जा रहा है। एनसीसी मुख्यालय देवप्रयाग विधानसभा के श्रीकोट माल्ड़ा में बनाया जाना प्रस्तावित था,लेकिन 29 जून को पौड़ी में हुई कैबिनेट बैठक में त्रिवेंद्र सरकार ने एनसीसी मुख्यालय को पौड़ी में स्वीकृत किए जाने पर मुहर लगा दी। जिससे देवप्रयाग के पूर्व विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री प्रसाद नैथानी में आक्रोश में आ गए कि जिस एनसीसी अकादमी को लाने के लिए जो किए प्रयास उन प्रयासों पर त्रिवेंद्र सरकार पानी फेरने जा रही है।
सरकार के खिलाफ हुंकार
त्रिवेंद्र कैबिनेट के फैसले के खिलाफ देवप्रयाग की जनता में आक्रोश है और इसी के चलते देवप्रयाग ब्लाॅक मुख्यालय के हिण्डोलाखाल में क्रमिक अनशन भी शुरू हो गया है। खुद पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी क्रमिक अनशन का नेतृत्व कर रहे हैं। मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना कि अगर सरकार ने एनसीसी अकादमी को देवप्रयाग से शिफ्ट किया तो उन्हे एनससीसी अकादमी उनकी लाश के उपर से गुजारनी होगी। मतलब साफ है कि मंत्री प्रसाद नैथानी को जो बड़ा सियासी मुद्दा देवप्रयाग में अपनी जमीन मजबूत करने के लिए मिला है उसे वह किसी भी कीमत पर छोड़ना नहीं चाहते हैं और छोड़े भी क्यों क्योंकि केेंद्र सरकार से बड़े अथक प्रयासों से नैथानी देश की 5 वीं एनसीसी अकादमी अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए जो लाए थे।
हरीश रावत ने रखी थी आधारशीला
जिस एनसीसी मुख्यालय को त्रिवेंद्र सराकर पौड़ी में शिफ्ट करने जा रही है उस एनसीसी मुख्यालय की आधारशीला 16 दिसम्बर 2016 को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने देवप्रयाग विधान सभा कि श्रीकोट माल्ड़ा में रखी थी,जिससे उम्मीद की जा रही थी कि जल्द ही देश की 5 वीं और उत्तराखंड की पहली एनसीसी अकादमी देवप्रयाग में खुल जाएगी लेकिन त्रिवेंद्र सरकार आने के ढाई साल तक इस पर कोई काम नहीं हो सका है और अब त्रिवेंद्र सरकार इसे शिफ्ट करने जा रही है। अकादमी की खास बात ये है कि देश ही नहीं बल्कि विदेशी कैंडिडेट भी इस अकादमी में प्रशिक्षण लेते हैं. 30 से 40 हजार कैंडिडेट प्रशिक्षण लेते, बेहतर व्यवस्थाओं को संचालित करने के लिए एक हैलीपैड में भी अकादमी की अंदर बनाया जाना है। यूं समझिए कि आईएमए की तर्ज पर इस अकेडमी को स्थापित किया जाना है।
जीओ ढूंढ रहे हैं देवप्रयाग विधायक
देवप्रयाग के पूर्व विधयाक और हरीश रावत सरकार में शिक्षा मंत्री रहे मंत्री प्रसाद नैथानी एनसीसी मुख्यालय के शिफ्ट किए जाने को लेकर विरोध में क्या उतरे देवप्रयाग से भाजपा विधायक विनोद कंडारी के लिए ये विरोध साख का सवाल बन गया क्योंकि स्थानीय जनता को भी ये लगा रहा है कि सरकार ने गुपचुप तरीके से इतना बड़ा कदम उठा दिया और भाजपा विधायक को इसकी भनक तक नहीं लगी और अगर भनक लगी तो क्यों भाजपा विधायक ने इसके विरोध में आवाज नहीं उठाई. इस तरह के सवाल उन भी उठ रहे हैं। लिहाजा देवप्रयाग विधायक विनोदी कंडारी ने अपने बचाव के लिए एक रास्ता ढूंढ लिया,और वह रास्ता जीओ को लेकर है। विनोद कण्डारी का कहना कि वह अपने स्तर से पूरा प्रयास कर रहे हैं कि एनसीसी मुख्यालय देवप्रयाग ने शिफ्ट न हो लेकिन वह पिछली सरकार का वह जीओ भी ढूंढ रहे हैं जो आदेश सरकार ने श्रीकोट माल्डा में एनसीसी अकादमी को खोले जाने को लेकर जारी किया हो।
नैथानी का पटलवार
भाजपा विधायक विनोद कंडारी के तर्क पर मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना कि मुख्यमंत्री के द्धारा जिस एनसीसी अकादमी की आधारशीला रखी गई हो उसका आदेश अगर विधायक विनोद कंडारी ढूंढ रहे हैं तो इसे हास्यास्पद बात क्या हो सकती है। मुख्यमंत्री के द्धारा की गई घोषणाओं को भी जीओ मान लिया जाता है तो फिर एनसीसी अकादमी को तो मुख्यमंत्री के हाथों आधार शीला रखी गई थी. मंत्री प्रसाद नैथानी का कहना कि उन्होंने बड़े अथक प्रयास एनसीसी मुख्यालय के लिए किए जिस पर तब मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने अपनी मुहर लगाई.
त्रिवेंद्र सरकार और देवप्रयाग के भाजपा विधायक ऐसा नहीं चाहते हैं-मंत्री प्रसाद नैथानी
देवप्रयाग के लिए वह जहां एनसीसी अकादमी केंद्र सरकार से लेकर आए वहीं देवप्रयाग में संगम तट पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान जो देश का 13 संस्थान है, को भी लेकर आएं और उसपर भी स्मृति इरानी ने मुहर लगाई,जिसके लिए वह सदैव स्मृति इरानी का अभारी रहेंगे। देवप्रयाग में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान 2200 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन है,जो एक दिन देश ही नहीं विदेशों में भी देवप्रयाग का नाम रोशन करेगा। देवप्रयाग का नाम शिक्षा के क्षेत्र में रोशन हो ऐसी उनकी प्राथमिकता में था, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार और देवप्रयाग के भाजपा विधायक ऐसा नहीं चाहते हैं इसलिए देवप्रयाग से एनसीसी अकादमी को शिफ्ट करने की पूरी साजिश चल रही है जिसे वह किसी भी किमत पर सफल नहीें होने देंगे।