हरिद्वार स्थित बीएचईएल फैक्टरी में कार्यरत कर्मचारी की मौत के बाद हंगामा हो गया। ग्रामीणों ने इलाज में लापरवाही बरतने और मृतक की पत्नी को नौकरी और मुआवजा देने की मांग को लेकर बीएचईएल के मुख्य अस्पताल के बाहर जमकर नारेबाजी की और अस्पताल में धरने पर बैठ गए। 32 वर्षीय मृतक का नाम राजकुमार उर्फ़ राजू है जो बीएचईएल की कैंटीन में संविदा पर कार्यरत था।
बीएचईएल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप
शुक्रवार शाम को बीएचईएल कैंटीन में ड्यूटी पर तैनात राजकुमार की अचानक तबियत खराब हो गयी। सहयोगी कर्मचारी उसे इलाज के लिए बीएचईएल के मुख्य अस्पताल ले आये और परिजनों को सूचित कर दिया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी और उसके शव को मर्चरी में रखकर अस्पताल प्रबंधन ने सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव ले जाने को कहा। शव न दिए जाने से ग्रामीण आक्रोशित हो गए देखते ही देखते सेकड़ों की संख्या में ग्रामीण अस्पताल में इक्कट्ठा हो गए और बीएचईएल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाने लगे। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने मृतक की पत्नी को बीएचईएल में नौकरी और मुआवजा देने की मांग पर भी अड़ गए।
मृतक के भाई का बयान
मृतक के भाई का कहना है कि राजू का परिवार अभी गरीबी की हालात से गुजर रहा है. उसके दो छोटे-छोटे बच्चे हैं. आरोप लगाते हुए कहा की बीएचईएल कर्मचारी यूनियन के नेताओं द्वारा नौकरी और मुआवजा दिलाने की भरोसा भी परिजनों को दिया गया। सुबह जब परिजन मृतक के शव को लेने अस्पताल पहुंचे तो उन्हें शव नहीं मिला बल्कि उसके शव को जिला अस्पताल भेज दिया। कम से कम परिवारवालों को बताकर शव को भेजना चाहिए था.
मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती
हंगामे की सूचना मिलते ही मौके पर भारी पुलिस बल की तैनाती भी की गयी। मौके पर मौजूद पुलिस को परिजनों ने मृतक के शव को बिना बताये जिला अस्पताल पहुँचाने और उसकी मौत की जाँच की मांग को लेकर तहरीर दी। तहरीर देने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा शांत हो पाया। वही पुलिस ने तहरीर ले ली है और इस पुरे मामले की जाँच की बात भी पुलिस ने कही है।
आज भी देश में गरीबो की सुनने वाला कोई नहीं है जहां एक तरफ राजकुमार उर्फ़ राजू की मौत का रहस्य छुपाने के लिए रातोरात शव गायब किया गया अगर हंगामा न होता तो उसकी मौत के रहस्य के पन्नो में दब जाती.