केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान मैसूरू में मैगी की जांच में लेड की मात्रा अधिक पाई
3 साल पहले 2015 में कई राज्यों में मैगी के सैंपल लिए गए और इनमें लेड की मात्रा अधिक होने की बात सामने आई। केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकीय अनुसंधान संस्थान मैसूरू में मैगी की जांच में लेड की मात्रा अधिक पाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान मैगी का निर्माण करने वाली कंपनी नेस्ले के वकीलों ने भी इस बात को स्वीकारा.
ब्रेन और हार्ट जैसे अहम अंगों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है लेड
आपको बता दें लेड यानी सीसा एक हेवी मेटल है जो हमारे वातावरण में मौजूद रहता है। यह एक ऐसा जहरीली मेटल है जो अगर हमारे शरीर में पहुंच जाए तो ब्रेन और हार्ट जैसे अहम अंगों को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है।
ये-ये हो सकती हैं समस्याएं
रिपोर्ट की मानें तो लेड अगर लंबे समय तक हमारे शरीर के अंदर पहुंच जाए तो पुरुषों और महिलाओं में बांझपन की समस्या पैदा कर सकता है, पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है, हाई बीपी की दिक्कत हो सकती है, मसल और जॉइंट पेन भी हो सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं में लेड की मौजूदगी उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा सकती है, होने वाले बच्चे के ब्रेन का विकस भी प्रभावित हो सकता है। डॉक्टर्स के मुताबिक लेड सेहत के लिए न सिर्फ खतरनाक है बल्कि घातक भी। अधिक लेड सेवन की वजह से किडनी खराब हो सकती है और नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों के शरीर में अगर लेड पहुंच जाए तो बच्चे का आईक्यू लेवल प्रभावित होता है, बिहेवियर इश्यू होने लगता है, बोलने में दिक्कत हो सकती है, नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंच सकती है। साथ ही हड्डियों और मांसपेशियों की ग्रोथ में भी कमी आ सकती है।
किसी फूड प्रॉडक्ट में लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए
वैसे तो भारत में तय मानक के अनुसार के किसी फूड प्रॉडक्ट में लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम तक ही होनी चाहिए, लेकिन मैगी के नमूनों में इसकी मात्रा इससे काफी अधिक थी। लेकिन यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की मानें तो खून में लेड की किसी भी मात्रा को सेफ नहीं माना जा सकता।