हे त्रिवेंद्र, बीते 16 महीनों पहले जब आपने भ्रष्टाचार पर जीलो टालरेंस की बात कही तब ऐसा लग रहा था कि भ्रष्टाचार में कंठ तक डूबे हुए उत्तराखंड की राजनीति और बेलगाम नौकरशाही जिसमें से अधिकांश भ्रष्टाचार का पर्याय बने हों उस सिस्टम को आप कैसें सुधारेंगे और मुख्यमंत्री बनते ही आपने एनएच 74 पर जिस तरह सीबीआई जांच की बात कही उससे दिल बहुत प्रसन्न हुआ था। परंतु जैसे ही सीबीआई की जगह एक एसआईटी बनाकर जांच करने की बात सामने आई तो मेरा मन भी कुछ विचलित हुआ कि राजनीतिक दबाव या नौकरशाही के दबाव में भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात कहीं मुहावरा न बन जाए। मगर जैसे जैसे एनएच 74 पर जांच आगे बढ़ी और कई पीसीएस अधिकारियों समेत राजनीतिक वरदहस्त प्राप्त करोड़पति सलाखों के पीछे पहुंचे उससे लगा कि हां भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग आप लड़ना चाहते हैं। क्योंकि उत्तराखंड बनने के बाद आजतक किसी भी सरकार ने किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई नहीं की जिसमें कोई भ्रष्टाचारी अधिकारी जेल गया हो। मिसाल के तौर पर निशंक सरकार में स्टर्डिया घोटाले के समय जब हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने इस घोटाले को अंजाम देने के लिए सरकार को अंजाम किया और अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। मगर आज तक किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन आधा दर्जन अधिकारियों के जेल जाने के बाद जिस तरह से कुछ आईएएस अधिकारियों पर संदेह की अंगुली उठने मात्र से आपने आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करने के लिए जवाब तलब किया है। उससे ये बात मेरे ही नहीं सभी के जेहन में आ रही है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात पर तो कम से कम आपने उत्तराखंड में 56 इंच का सीना दिखाया है। ऐसा तो न भूतो न भविष्यति की तर्ज पर ही उत्तराखंड में संभव दिखता है वो भी आपके शासनकाल में। यकीनन राज्य के इतिहास में पहली बार आईएएस के गिरेबान में हाथ डालकर आपने अपनी जुबान पर कायम रह कर अपने नाम को सार्थक किया है और एक नजीर भी पेश की है जिसके लिए उत्तराखंड आपका नाम हमेशा याद रखेगा।
भ्रष्टाचार से लड़ाई के लिए इस मुहिम के लिए आप सचमुच बधाई के पात्र हैं।