Big News : विशेष। ट्रंप के जिद्दी, तानाशाही रवैए ने महान अमेरिका को लाशें गिनने में लगा दिया - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

विशेष। ट्रंप के जिद्दी, तानाशाही रवैए ने महान अमेरिका को लाशें गिनने में लगा दिया

Reporter Khabar Uttarakhand
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America Fights Against corona

खुद को दुनिया का सबसे ताकतवर देश बताने वाला अमेरिका इन दिनों कोरोना के सामने इन दिनों पूरी तरह नतमस्तक हो चुका है। एक जिद्दी तानाशाह की तरह हरकतें करते अमेरिका के राष्ट्रपति जे डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नागरिकों को सदी के सबसे बड़े खतरे में डाल दिया है। यही नहीं, अपनी व्यवस्थागत गलतियों पर पर्दा डालने की हड़बड़ी में ट्रंप पूरी दुनिया को तृतीय विश्व युद्ध की तरफ धकेलने में लगे हुए हैं।

चीन के वुहान से निकला कोरोना चीन से जब अमेरिका पहुंचा तब तक पूरी दुनिया इसके खतरे से वाकिफ हो चुकी थी। दुनिया समझ चुकी थी कि कोरोना के संकट से बचने के लिए लॉकडाउन की बंदिशें बेहद जरूरी हैं। 21 सदी में भी दुनिया के सामने एक वायरस सबसे बड़ी चुनौती बन कर खड़ा हो गया। ये चुनौती इतनी बड़ी है कि संपूर्ण मानव जाति ही संकट में पड़ गई।

इस दौर में अमेरिका जैसे महान इतिहास वाले देश के नागरिक डोनाल्ड ट्रंप के अपने राष्ट्रपति के तौर पर होने को लेकर न जाने क्या सोच रहें होंगे लेकिन ये सच है कि न्यूयार्क जैसे दुनिया के आधुनिकतम शहरों में से एक के अस्पतालों में पड़ी लाशें अमेरिका की नीतियों और व्यवस्थाओं पर सवाल उठा रहीं हैं। न सिर्फ सवाल उठा रहीं हैं बल्कि खोखलेपन की गवाही भी दे रहीं हैं।

माना जा रहा था कि संपूर्ण दुनिया की ही तरह अमेरिका भी लॉकडाउन का नियम अपना कर कोरोना वायरस जैसे अदृश्य शत्रु से लड़ाई लड़ लेगा। लेकिन कारोबारी दिमाग वाले डोनाल्ड ट्रंप को लगा कि लॉकडाउन से उपजी परिस्थितियों में अर्थव्यवस्था डांवाडोल हो जाएगी। लिहाजा मानव जाति को कई बड़े वैज्ञानिक अविष्कार देने वाला अमेरिका अपने जिद्दी कारोबारी दिमाग वाले राष्ट्रपति की जिद के आगे मजबूर होकर अपने ही नागरिकों के शवों को गिनने लगा।

लगातार आलोचनाओं का शिकार होने के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप कोरोना से निपटने में अपनी नाकामी को राष्ट्रवाद के पर्दों में ढंकने में लगे हैं। डोनाल्ड ट्रंप अब कोरोना वायरस को हर कीमत पर चीनी वायरस साबित कर रहें हैं। उन्हें पता है कि यही वो तरीका है जिससे शायद वो अपनी नाकामी को कुछ हद तक छुपा सकते हैं। न जाने उन्होंने ये राजनीतिक कला कहां से सीखी लेकिन भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्रंप की दोस्ती पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है। संभव हो कि ट्रंप ने मोदी से कुछ राजनीतिक ज्ञान ले लिया हो। हालांकि नरेंद्र मोदी से लॉकडाउन वाली सीख ट्रंप नहीं ले पाए। अर्थव्यवस्था को संभालने के चक्कर में उन्होंने नागरिकों के जीवन से समझौता कर लिया।

कोरोना से जंग में अमेरिकी सरकार से कई जगहों पर चूक हुई। लॉकडाउन का न होना इसमें बड़ा कारण रहा। इसके बाद इलाज में अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप और जरूरी चिकित्कीय सामानों की समय पर आपूर्ति की शिकायतें मिलती रहीं।

इस दौरान डोनाल्ड ट्रंप अपनी राजनीति में लगातार लगे दिखाई दिए। ट्रंप लगातार चीन पर हमलावर रहें हैं। चीनी वायरस के तौर पर कोरोना वायरस को संबोधित करते रहे और WHO को धमकाते रहे। किसी अन्य देश के प्रतिनिधित्व ने ऐसा नहीं किया। ट्रंप सिर्फ धमकियों तक नहीं रुके बल्कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन को अमेरिका से मिलने वाली मदद पर भी रोक लगा दी। अमेरिका के आरोपों को चीन हालांकि खारिज करता रहा है लेकिन उसका रवैया सामान्य रहा है। इस संकट काल में चीन बेहद रक्षात्मक नजर आ रहा है। वहीं अमेरिका जिस तरह से लगाकार चीन पर हमलावर है उससे दोनों देशों के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है।

माना जा रहा है कि अमेरिका में कोरोना से लड़ने की रणनीति बनाने पर ध्यान देने से अधिक चीन पर हमलावर होना ट्रंप के लिए राजनीतिक रूप से फाएदेमंद साबित हो सकता है। एक तरफ उन्हें नागरिकों की नाराजगी से बचने का मौका मिल रहा है दूसरी तरफ अपनी धूमिल हो चुकी लोकप्रियता को फिर से पाने का एक अवसर दिख रहा है। यहां ये मत भूलिए कि अमेरिका में जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं।

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