वाराणसी सीट से सपा प्रत्याशी तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द हो गया है. तेज बहादुर पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतरे थे. उन पर एक नामांकन दाखिल में बर्खास्तगी की वजह न बताने का आरोप है जिसके बाद उनका नामांकन रद्द हो गया है. जिसके बाद तेज बहादुर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वहीं इसके बाद तेज बहादुर का एक कथित वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो हाथ में शराब का गिलास लिए शराब पीते नजर आ रहे हैं.
आपको बता दें कि तेज बहादुर को बीएसएफ से फरवरी 2018 में बर्खास्त किया गया था. तेज बहादुर का कॅरियर हमेशा से विवादों में रहा है.
तेज बहादुर का विवादों से रहा है नाता
जी हां आपको बता दें तेज बहादुर ने 20 जनवरी 1996 को बीएसएफ ट्रेनी रिक्रूट के तौर पर ज्वाइन किया था. ट्रेनिंग के बाद 30 अक्टूबर 1996 को तेज बहादुर को बीएसएफ की 29वीं बटालियन में शामिल किया गया. न्यूज 18 की खबर के अनुसार ट्रेनिंग के दौरान ही तेज बहादुर बिना अनुमति के गायब हो गए थे, जिसे फौज की भाषा में भगोड़ा होना कहा जाता है. इस वजह से बीएसएफ एक्ट के सेक्शन 19ए के तहत तेज बहादुर को 25 सितंबर 1996 को 14 दिनों की सख्त कैद की सजा सुनाई गई.
फिर इसके बाद भी तेज बहादुर एक के बाद एक गंभीर किस्म की अनुशासनहीनता करते रहे और उसकी सजा भी उन्हें मिलती रही. जिसके तहत उन्हें 28 सितंबर 2003 को 7 दिन की सख्त कैद की सजा सुनाई गई. ये सजा बीएसएफ एक्ट के सेक्शन 40 के तहत सुनाई गई. यानी दिशा-निर्देशों को न मानना और इस तरह अनुशासन तोड़ना.
दया की भीख मांगी और इस तरह वो बर्खास्तगी से बचे
वहीं 4 साल बाद फिर से तेज बहादुर ने अनुशासनहीनता बरती और इस बार बीएसएफ एक्ट के सेक्शन 26 और 40 के तहत उन्हें 27 सितंबर 2007 को 28 दिनों की सख्त कैद की सजा सुनाई गई. अमूमन 3 ऐसी गंभीर हरकतों के बाद फौज या बीएसएफ जैसे संगठन से बर्खास्त कर दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन अपने परिवार का अकेला पालनहार होने की बात कर तेज बहादुर ने दया की भीख मांगी और इस तरह वो बर्खास्तगी से बचे.
कंपनी कमांडर को दी गालियां, आदेश को नहीं माना
वहीं इसके बाद एक बार फिर तेज बहादुर ने 3 साल बाद बखेड़ा किया. मार्च 2010 में भारत-बांग्लादेश सीमा पर किशनगंज के पास तैनात के दौरान उन्होने अपने कंपनी कमांडर को न सिर्फ गालियां दीं, बल्कि आगे जाकर गश्त करने के आदेश को मानने से भी मना कर दिया. और सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अपने कंपनी कमांडर इंस्पेक्टर को गोली मारने की धमकी तक दी. इस मामले में एक बार फिर से तेज बहादुर का कोर्ट मार्शल हुआ और बीएसएफ एक्ट के सेक्शन 20ए और सी के तहत उन्हें न सिर्फ 89 दिन की सख्त कैद की सजा सुनाई गई, बल्कि सेवा अवधि में भी 3 साल की कटौती कर दी गई.