देहरादून- उत्तराखंड से दिल्ली जाने वाले हाईवे पर पड़ने वाले ढ़ाबों पर खुलेआम लूट चल रही है. आपको 30, 40 रुपये का आलू का पराठा बताकर उसके साथ दही औऱ सब्जी भी दी जाएगी औऱ बिल दिया जाएगा तो आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी. जी हां आपको पराठे के रेट से 4 गुना अधिक का बिल थमा दिया जाता है. यात्री सोचता है की 30-40 रुपये के पराठे में दही और सब्जी खाकर तो मजा आ गया लेकिन जब बिल दिया जाता है तो मूंह खुला का खुला रहा जाता है.
पिछले साल सोशल मीडिया पर फेसबुक पर संजय भट्ट की पोस्ट ने खतौली के “शेर-ए-पंजाब” ढाबा का पर्दाफाश किया था. साथ ही पूरे उत्तराखंड में इन ढाबों की लूट का विडियो बनाकर सरकार और उत्तराखंड परिवहन निगम को इस लूट के बारे में बताया था। निगम ने कार्यवाही कर होटल का अनुबंध खत्म भी कर दिया था। लेकिन निगम द्वारा अनुबंधित होटलों की मनमानी का शिकार उत्तराखंड का आमजन आज भी हो रहा है।
बस ड्राइवर औऱ कंडक्टर की सेटिंग से होता है काम
बस ड्राइवर उसी जगह बस रोकता है जहां उनकी सेटिंग होती है और उनको मुफ्त में खाना मिलता है जो की यात्रियों से वसूला जाता है. जो मनमाना बिल बनाकर जनता को लूटने का काम करते हैं. उसे ना देने की हाल में व्यक्ति को पीछे ले जाकर ठोकने की धमकी देकर वासूल किया जाता है। सथ ही इन ढाबे वालों को रोडवेज बस के ही कंडक्टर औऱ ड्राइवर का साथ होता है.
नया मामला 9 जून 2018 का
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक वीडियो के अनुसार 9 जून को रामनगर से दिल्ली जा रही बस में सवार उत्तराखंड के एक युवा के साथ इसी तरह का वाकया हुआ। बस संख्या UK07PA2096 रास्ते में मधुबन ढाबे पर पर रुकी, फेसबुक पोस्ट पर पीड़ित युवक ने पोस्ट के अनुसार उसे 20 रूपये का एक पराठा कहकर बैठाया जाता है। और जब वह बिल देने आता है तो उससे दो पराठे के 100 रूपये वसूले जाते हैं।
सम्बंधित ढाबे का अनुबंध निरस्त करने की मांग
युवकों ने होटल संचालक का विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर सम्बंधित ढाबे का अनुबंध निरस्त करने की मांग की है। आप देख सकते हैं ढाबे कैशियर किस तरह से तर्क देकर वसूली कर रहा है। उत्तराखंड रोडवेज द्वारा अनुबंधित ढाबों में ऐसी कई शिकायतें रोज होती हैं। आमजन भी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाते हैं.
पैसों की बचत के लिए यात्री रोडवेज बस में सफर करते है क्योंकि अन्य से कुछ किराया कम होता…रही बात खाना साथ लाने की तो किसी कारण कोई साथ खाना बनाकर नहीं ला पाता चाहे बात गर्मी के मौसम की करें या जॉब में व्यवस्थता के कारण.
बड़ा सवाल ये है कि आखिर कई वर्षो से चली आ रही ढ़ाबों पर लूट पर आखिर कब लगाम लगेगी. कब ऐसे ढ़ाबों वालों को सबक सिखाया जाए.. आए दिन मासूम यात्रियों को निशाना बना रहे हैं आखिर इन पर कब कार्यवाई का पंजा पड़ेगा.