मुद्रा लोन के लिए बैंक के चक्कर काटते-काटते थक चुकी एक महिला ने जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवनलीला समाप्त करनी चाही, लेकिन मोहल्ले वालों ने समय रहते उसे अस्पताल पहुंचा दिया। फिलहाल महिला खतरे से बाहर है। मामला उधमसिंह नगर के रुद्रपुर का है.
युवाओं के लिए स्वरोजगार मुहैया कराने को केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना संचालित की है। योजना का मकसद था कि योजना से हर कोई जरूरतमंद लाभांवित हो सके, लेकिन बैंकों की उपेक्षा से लोगों का शोषण हो रहा है। ऐसा ही एक मामला जिला अस्पताल में आया है। मूल रूप से पीलीभीत की रहने वाली संजना की शादी रुद्रपुर के शिमला बहादुर में रहने वाले राजीव से हुई है। राजीव काफी समय से रुद्रपुर में ही एक व्यक्ति के यहां काम कर रहा था। एक दिन मालिक ने सलाह दी कि तरक्की के लिए अपनी डिस्ट्रीब्यूशनशिप बढ़ाओ। जिससे उसका मोबाइल का अपना काम होगा और दाम भी अच्छे मिलेंगे और उसे मुद्रा लोन योजना का लाभ उठाने की सलाह दी।
यह सोचकर राजीव ने नौकरी छोड़ दी और अपना धंधा करने का मन बनाया। पत्नी संजना ने उसका साथ देते हुए अपने जेवर बेच दिए और एक दुकान किराए पर ले ली। इसके बाद जब उसकी पत्नी संजना ने मुद्रा लोन लेने के लिए बैंक में आवेदन किया। तीन महीने से कागज पूरे होने के बाद भी उसको टरकाया जा रहा है। संजना ने बताया कि उसने विधायक राजेश शुक्ला से समस्या बताई तो उन्होंने भी लोन देने के लिए लेटर बैंक को लिख दिया। इसके बाद भी जब बात नहीं बनी तो सीडीओ, एसडीएम और लीड बैंक अधिकारी से भी इसकी शिकायत की। उसके बाद भी ओबीसी बैंक ने लोन के लिए टरका दिया। लगातार बैंक के चक्कर काटकर आजिज संजना ने मौत को गले लगाना बेहतर समझा और एक दुकान से चूहे मार दवा ले आई और शुक्रवार को उसे खा लिया। जब पड़ोसी उसके पहुंचे तो उसकी हालत देख उसे तत्काल जिला अस्पताल भर्ती कराया। फिलहाल उसकी हालत खतरे से बाहर है।