समाधान पोर्टल में शिकायत कराई दर्ज, फाइल की निरस्त, खबर उत्तराखंड से मांगी मदद
गांव वालों ने खबर उत्तराखंड से सम्पर्क कर उनकी मांग को सीएम औऱ सरकार तक पहुंचाने की गुहार लगाई है. गापानी ग्राम जो बागेश्वर जिले में पड़ता है…यहाँ के ग्रामीण रोड के लिए 20 वर्षो से संघर्ष कर रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नही है ग्रामीणों का कहना है अब हम सिस्टम से हार चुके है काफी संघर्ष किया लेकिन हालात जस के तस बने हैं. काफी संघर्ष के बाद 2015 में पीडब्ल्यूडी कपकोट ने इस गांव की रोड के लिए प्रस्ताव बनाकर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय देहरादून को भेजा था, जिसमे 2018 तक कोई सुनवाई नहीं हुई…कई बार पीडब्ल्यूडी ऑफिस के चक्कर काटने के बाद जब कुछ समझ नहीं आया तो ग्रामीणों ने उत्तराखंड सरकार के समाधान पोर्टल में इसकी शिकायत दर्ज करवाई जिसमे फायदे की जगह इस गांव के रोड की फ़ाइल को ही निरस्त कर दिया गया…जिससे ग्रामीण काफी आहत हुए और पीडब्ल्यूडी कपकोट को संपर्क किया.
कहा-आपके सड़क का प्रस्ताव देहरादून से वापस कर दिया गया है
इसके बाद उन्होंने बताया कि आपके सड़क का प्रस्ताव देहरादून से वापस कर दिया गया है और इस प्रस्ताव को केंसिल कर फिर से नया प्रस्ताव बनाया जाएगा, उसके बाद स्वीकृति के लिए देहरादून को प्रेषित की जाएगी. लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी आज तक कोई नया प्रस्ताव भी नहीं बनाया गया. जिससे ग्रामीणों में सरकार के प्रति काफी रोष है.
2017 में सत्ता परिवर्तन से जगी थी आस लेकिन….
गांववालों का कहना है जब 2017 में सत्ता परिवर्तन हुआ था उन्हें काफी उम्मीदें थीं इस सरकार से अच्छे दिनों की आस में ग्रामीण खुद भी तन मन से लग गए थे. सरकार के प्रचार प्रसार में लेकिन आज उसी सरकार ने आज हमारे मूंह में ऐसा तमाचा मारा जो इतिहास में ढूढने से भी नहीं मिलेगा. रोड़ की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी 4 वर्षों की मेहनत के बाद सारे पेपर बना कर भेज दिए गए थे लेकिन आज उस प्रस्ताव को ही निरस्त कर देना इससे बड़ा तमाचा क्या होगा जो कि एक ऑनलाइन प्रस्ताव है. आप सब इसे FP UK ROAD 15673 201 पर देख सकते हैं.
हमें तो आज भी लगता है हम गुलाम हैं- ग्रामीण
गांवावालों का कहना है कि पिछली सरकार ने कम से कम प्रस्ताव तो लगाया था लेकिन जो सरकार विकास का नारा ले कर सत्ता में आई वह आज जनता का उत्पीड़न करने में उतर आई है. एक समाधान पोर्टल में शिकयत करने पर प्रस्ताव को ही निरस्त कर दिया जो 4 वर्षों के मेहनत से पूरा किया गया था…गांववालों का कहना है कि ये सरकार उन्हें किस युग में धकेल रही है. गांव वालों का कहना है कि हमें तो आज भी लगता है हम गुलाम है या आपातकाल में जी रहे हैं.
गांव वालों की उम्मीदें टूट चुकी है और अब उन्होंने सीएम से मदद की गुहार लगाई है. बूढ़े-बच्चों, महिलाओं के बीमार होने पर सड़क न होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है…प्रसूता महिलाओं को तो खासा परेशानी होती है. गांववालों ने सरकार से सीएम से सड़क निर्माण की मांग की है.