डेस्क- उत्तराखंड सरकार के लिए ये किसी बुरी खबर से कम नहीं कि भाजपा के थिंक टैंक माने जाने वाले बुजुर्ग नेता ने अपनी सरकार के राज में उसकी नीतियों के खिलाफ आंदोलन के बिगुल को बजाने का ऐलान कर दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने प्राण अर्पण करने जैसी बड़ी बात भी कही है।
जी हां आप यकीन मानिए ! ये भाजपा के लिए बुरा संकेत है कम से कम उत्तराखंड में तो इससे इंकार नहीं किया जा सकता। दरअसल सूबे की पहली अंतरिम सरकार में मंत्री रहे और मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार रहे मोहन सिंह रावत गांववासी ने शराब के खिलाफ आंदोलन का मन बना लिया है। उत्तराखंडी सोच के दिग्गज भाजपाई नेता ने अपनी फेसबुक को अपडेट करते हुए सरकार के बजाय जनता को आगे आने के लिए कहा है। जबकि सरकार से उत्तराखंड में पूर्ण शराब बंदी का अनुरोध किया है। गांववासी ने शराब की खिलाफत करते हुए लिखा है कि “देवभूमि को शराब ने राक्षसभूमि बना दिया है। शराब-माफिया प्रदेश की भोलीभाली जनता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। साथ ही गरीब लोगों को कंगाल बना रहे हैं। युवाओं को नशेडी बना रहे हैं।
वहीं बिहार सरकार का हवाला देते हुए गांववासी ने सरकार को नसीहत भी दी है। अपनी फेसबुक वाल पर गांववासी ने अपने अंदाज में लिखा है कि “बिहार जैसे राज्य ने यह कर दिखाया है। क्या उत्तराखंड में यह लागू नहीं किया जा सकता है? इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत है।”
हालांकि गांववासी ने उम्मीद जताई है कि सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत उनका साथ देंगे और सूबे की सरकार को लोकप्रिय साबित करेंगे ”
वहीं आंदोलन की चेतावनी देते हुए अपनी पूज्य झालीमाली देवी से शक्ति प्रदान करने गुजारिश की है। गांववासी ने अपनी फेसबुक वॉल को अपडेट करते हुए लिखा है कि, ”आगामी दिनों में इस आंदोलन के लिए रूपरेखा तैयार की जाएगी और प्रदेश की राजधानी देहरादून समेत जिला मुख्यालयों पर सत्याग्रह किया जा सकता है। ”
तय है कि अगर सरकार ने भाजपा के पुराने दिग्गज की बातों को हल्के में लिया तो उसके लिए गांववासी का सोशलमीडिया का ये ऐलान गले की फांस बन सकता है। क्योंकि गांववासी पुराने भाजपाई है और भाजपा के थिंक टैंक माने जाते हैं। तय है कि अगर गांववासी अपनी बात पर अड़े रहे तो सूबे में एक सिरे पर भाजपा होगी और दूसरे सिरे पर सरकार। ऐसे में देखना ये दिलचस्प होगा कि टीएसआर सरकार अपने बुजुर्ग शेर की दहाड़ को किस अंदाज में लेती है।