देहरादून- उत्तराखंड में 5155 शिक्षा प्रेरकों के लिए बुरी खबर। बेशक उन्होंने अच्छे दिनों की उम्मीद के साथ शिक्षा प्रेरक बनना स्वीकार किया था। लेकिन केंद्र से बकाया भुगतान न मिलने के चलते राज्य सरकार ने उनकी सेवा समाप्त कर दी है।
गौरतलब है कि राज्य के छह जिलों बागेश्वर, चंपावत, हरिद्वार, टिहरी, ऊधमसिंह नगर और उत्तरकाशी में केंद्रपोषित साक्षर भारत कार्यक्रम योजना संचालित की जा रही थी। इस योजना के तहत शिक्षा प्रेरक हर माह तीन हजार रूपए का रोजगार पा रहे थे।
सितंबर 2017 तक चलने वाली योजना को केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर, 2017 तक सूबे में बढ़ाया था। प्रेरकों को उम्मीद थी कि कार्यक्रम आंगनबाड़ी की तरह चलता रहेगा लेकिन मानदेय भुगतान को लेकर केंद्र की चुप्पी के चलते ऐसा न हो सका।
प्रेरकों को मिल रहे इस मानदेय में दो हजार केंद्र सरकार और एक हजार राज्य सरकार देती है। लेकिन सच ये है कि शिक्षा प्रेरकों के 19 माह के बकाया मानदेय की 17.52 करोड़ राशि का कर्ज चढ़ा हुआ है।
वहीं शिक्षा प्रेरकों की ओर से निरंतर मानदेय के भुगतान की मांग की जा रही है। जबकि राज्य सरकार इतना बड़ा आर्थिक बोझ उठाने में खुद को समर्थ नहीं पा रही है।
वहीं केंद्र सरकार की ओर से उक्त योजना को आगे भी जारी रखने और बकाया मानदेय पर चुप्पी साधे जाने के चलते राज्य सरकार ने उक्त योजना को एक जनवरी, 2018 से समाप्त कर दी है। इस संबंध में शिक्षा सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख ने आदेश जारी किए हैं।