देहरादून : उत्तराखण्ड सरकार के बड़े अधिकारी में गिने जाने वाले और आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा को विजलेंस टीम ने आज देहरादून के ईसी रोड़ से गिरफ्तार किया. इसकी पुष्टि विजिलेंस के निदेशक एडीजी राम सिंह मीणा ने की. बता दें मृत्युंजय मिश्रा घोटालों और वित्तीय अनियमित्ताओं से पुराना नाता रहा है.
60 लाख से ज्यादा की गड़बड़ी की पुष्टि
वहीं वित्तीय अनियमियत्ताओं के पुराने मामलों के चलते 15 दिन पहले मृत्युंजय मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था. सूत्रों की मानें तो जांच में 60 लाख से ज्यादा की गड़बड़ी की पुष्टि हुर्इ है। जिसके बाद धारा 467, 468, 420, 120 B और भर्ष्टाचार निवारण अधिनियम के अंर्तगत उनको गिरफ्तार किया गया है. गौर हो की हाल ही में चर्चित स्टिंग मामले में भी मिश्रा का नाम सामने आया था. फिलहाल विजिलेंस मिश्रा से पूछताछ कर रही है।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद से कर दिया गया था निलंबित
गौरतलब है कि हाल ही में मिश्रा को आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव पद से निलंबित कर दिया गया था। शासन ने उनका नाम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश समेत अन्य अधिकारियों के स्टिंग के प्रयास को लेकर दर्ज एफआइआर में आने के बाद निलंबित किया था। हालांकि, शासन ने अधिकारिक तौर पर निलंबन का आधार उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में बतौर कुलसचिव उनके खिलाफ विजिलेंस विभाग में चल रही खुली जांच और अन्य जांच को बनाया।
विवादों-घपलों से मृत्युंजय का पुराना नाता
लेक्चरर के पद पर अपनी तैनाती के बाद से ही मृत्युंजय मिश्रा कई वित्तीय अनियमितताओं और घोटालों को लेकर चर्चा में रहे हैं। सबसे पहले चकराता और त्यूणी महाविद्यालयों में प्राचार्य के दोहरे प्रभार से चर्चा में आने वाले मिश्रा एक ही शैक्षिक सत्र में दो-दो डिग्रियां हासिल करने को लेकर सवालों के घेरे में आए थे। उसके बाद उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में 2007 में नियम विरुद्ध नियुक्ति और खरीद से लेकर नियुक्तियों तक में गड़बड़ियां करने के आरोप लगे।