माता-पिता, परिवार के बाद शिष्य ही होता है जो बच्चे को सही राह, सही मार्ग दिखाता है और उसे उसकी मंजिल सफलता दिलाता है. हर टीचर बच्चे से पूछता है कि बड़े होकर क्या बनोगे तो कोई कहता है डॉक्टर तो कोई कहता है पायलट तो वहीं कोई कहता है फौजी…लेकिन आगे जाकर क्या होता है वो वहीं डिसाइड करता है.
लेकिन एक बच्चा ऐसा भी है जिसने तीन साल की उम्र में टीचर को अपना नाम कैप्टन रोहन भसीन बताया था औऱ आज 30 साल बाद जब शिक्षक ने उसी बच्चे का नाम सुना तो दंग रह गई और उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए.
विमान से शिकागो जा रही थी टीचर, फिर सुनी एनाउसमेंट
दरअसल रोहन भसीन उस वक्त तीन साल के थे और कक्षा में टीचर ने उनसे पूछा था कि आप बड़े होकर क्या बनोगे तो उसने अपना नाम कैप्टन रोहन भसीन बताया था। आज वही बच्चा उसी टीचर से मिला। और 30 साल वह असल में कैप्टन रोहन भसीन है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार टीचर का नाम सुधा सत्यन है। वह इंडिया की दिल्ली से शिकागो जा रहे विमान में सवार थीं। तभी कैप्टन के नाम की घोषणा हुई जिसे सुनकर वह 30 साल पुरानी यादों में खो गईं। उन्हें वह समय याद आया जब वह एक युवा प्लेस्कूल की टीचर हुआ करती थीं और उन्होंने एक 3 साल के एक लड़के से उसका नाम पूछा था। उस लड़के ने खुद को कैप्टन रोहन भसीन बताया था। आज वह लड़का सच में विमान के कॉकपिट में सवार था।
कैप्टन रोहन की मां ने शेयर की तस्वीर
जिसके बाद उस टीचर ने एयरहोस्टेज से पायलट से मिलने की बात कही थी। जब कैप्टन उनके पास आया तो उन्होंने उसे गले लगा लिया और रोने लगीं। रोहन की मां ने इस पल की तस्वीरों को ट्विटर पर शेयर की है। इन तस्वीरों में एक तस्वीर बचपन (1990-91) की और दूसरी 24 मार्च की है।
रोहन की मां ने किया ट्वीट
रोहन की मां निवेदिता भसीन ने ट्विटर पर लिखा कि ‘प्लेस्कूल में एडमिशन के दौरान टीचर ने मेरे बेटे से उसका नाम पूछा था। उसने तुरंत कहा कैप्टन रोहन भसीन और उस समय उसकी उम्र केवल 3 साल थी। आज वही टीचर शिकागो जा रही थीं और वह सच में कैप्टन बन गया है।
रोहन के दादा भी पायलट
मिली जानकारी के अनुसा रोहन के दादा कैप्टन जय देव भसीन देश के उन 7 पायलटों में से एक थे जो 1954 में कमांडर बने थे। रोहन के माता-पिता भी इंडियन एयरलाइंस से जुड़े हुए हैं और एयर इंडिया का एआई बोइंग 787 ड्रीमलाइनर उड़ाते हैं। रोहन ने अपनी पायलट की ट्रेनिंग 12वीं से शुरू कर दी थी और अपना इन-एयर एक्सपीरियंस को-पायलट के तौर पर 2007 में शुरू किया था।